
100 फीसदी एचएलए मिलान के बिना भी संभव है बोन मेरो ट्रांसप्लांट
Bone Marrow Transplant: हड्डियों के अंदर अस्थिमज्जा एक ऐसा अंग है जिसमें स्टेम कोशिकाएं होती हैं। जिसे देख नहीं सकते हैं। यह शरीर में ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कणिकाओं, संक्रमण से लड़ने वाली श्वेत रक्त कणिकाओं व रक्त के थक्के बनाने में सहायक प्लेटलेट्स में विकसित होती हैं।
घातक बीमारियों में कारगर
बोन मेरो ट्रांसप्लांट यानी अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण। रक्त संबंधी बीमारियों ल्यूकीमिया, लिम्फोमा, अप्लास्टिक एनीमिया, स्किल एनीमिया, थैलेसीमिया में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। मरीज की प्रभावित बोन मैरो को हैल्दी बोन मैरो से बदल दिया जाता है। इससे नई कोशिकाएं शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। इसके लिए 100 प्रतिशत एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) का मिलान जरूरी था जो कि लाखों में से किसी एक का होता है। डोनर 100 प्रतिशत जीन्स मैचिंग (एचएलए) मरीज से कराई जाती है।
ऑपरेशन की जरूरत नहीं
ऐसी स्थिति में डोनर का चयन काफी रिसर्च के बाद 50 फीसदी एचएलए मिलान परिवार के सदस्यों से करते हैं।
जिसे हैप्लो आइडेंटिकल यानी हाफ मैच बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन करते हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को डोनर की स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं से प्रत्यारोपित करते हैं। इस प्रक्रिया में डोनर को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है, न ही मरीज का कोई ऑपरेशन कराया जाता है।
Published on:
14 Dec 2019 03:07 pm
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