मलद्वार के अंदर होने के कारण कई बार रोग का पता नहीं चलता। इसकी चार स्टेज हैं-
पहली: इसमें गुदा के अंदर रक्त नलिकाओं में सिर्फ थोड़ी सूजन होती है। कभी- कभार कब्ज या अन्य किसी कारण से मलत्याग के समय दबाव डालने पर रक्त भी आता है।
मलद्वार के आसपास उसकी बाहरी परत पर छोटी-छोटी गांठें रहती हैं। कभी-कभी इनमें रक्त जमने से असहनीय दर्द होता है। ऐसे में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
– पाइल्स की पहली व दूसरी स्टेज में इन घरेलू दवाओं से इलाज करते हैं।
– मक्खन से निकली छाछ 4 लीटर, भुना जीरा पाउडर 50 ग्राम और थोड़ा नमक मिलाकर दिन में कई बार ले सकते हैं। 4 -5 दिन में काफी राहत मिलेगी।
– 10 ग्रा. किशमिश रात को पानी में भिगोएं। सुबह मसलकर उसका पानी 7-10 दिन तक पीएं।
– बकायन, निंबोली, हरड़ और रसौंत का चूर्ण एक माह तक लेना फायदेमंद है।
– नारियल की जटा का जला हुआ बुरादा एक चम्मच छाछ या मक्खन के साथ सुबह भूखे पेट 5-7 दिन तक लें।
– एलोवेरा, आंवला व त्रिफला जूस पीएं।
– इन उपायों के अलावा अग्नि कर्म चिकित्सा का प्रयोग भी करते हैं। इसमें विशेष अग्निकर्म के द्वारा बाहरी या छोटे पाइल्स वाले भाग को जलाते हैं।