सीओपीडी के लक्षण ( copd symptoms )
दो महीने तक लगातार बलगम की तकलीफ रहती है और खांसी के सामान्य सिरप और दवाएं असर नहीं करती हैं। अधिक बलगम वाली खांसी की समस्या रहना, सांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक श्रम करने पर, सांस लेने में घरघराहट और सीने में जकड़न होना आदि इसके लक्षण हैं।
दो महीने तक लगातार बलगम की तकलीफ रहती है और खांसी के सामान्य सिरप और दवाएं असर नहीं करती हैं। अधिक बलगम वाली खांसी की समस्या रहना, सांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक श्रम करने पर, सांस लेने में घरघराहट और सीने में जकड़न होना आदि इसके लक्षण हैं।
मुख्य कारण ( copd causes )
सीओपीडी का प्रमुख कारण धूम्रपान है। चूल्हे व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी वजह बनता है। सांस के साथ अंदर जाने वाले कीटनाशक व पेंट में इस्तेमाल होने वाले रसायन और टीबी की पुरानी बीमारी अहम वजह हैं।
सीओपीडी का प्रमुख कारण धूम्रपान है। चूल्हे व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी वजह बनता है। सांस के साथ अंदर जाने वाले कीटनाशक व पेंट में इस्तेमाल होने वाले रसायन और टीबी की पुरानी बीमारी अहम वजह हैं।
जांचें
स्पाइरोमेट्री से फेफड़ों की ताकत जांची जाती हैं जबकि रक्त या बलगम टैस्ट के साथ छाती में संक्रमण का पता लगाने के लिए एक्स-रे करते हैं। कई बार जरूरत की स्थिति में सीटी स्कैन या एमआरआई जांच भी कराते हैं।
स्पाइरोमेट्री से फेफड़ों की ताकत जांची जाती हैं जबकि रक्त या बलगम टैस्ट के साथ छाती में संक्रमण का पता लगाने के लिए एक्स-रे करते हैं। कई बार जरूरत की स्थिति में सीटी स्कैन या एमआरआई जांच भी कराते हैं।
क्या है इसका इलाज ( copd Treatment )
अधिकतर मरीजों को इंहेलर दिया जाता है। यह काफी कारगर होता है। सांस लेने में अधिक परेशानी होने पर मरीज को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है। इसके अलावा मरीज के लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवाइयां दी जाती हैं। आयुर्वेद में श्वांस कुठार रस और गोदंती भस्म भी दी जाती है। होम्योपैथी पद्धति में मानसिक और शारीरिक लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं। साथ ही मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी दवाएं देते हैं।
अधिकतर मरीजों को इंहेलर दिया जाता है। यह काफी कारगर होता है। सांस लेने में अधिक परेशानी होने पर मरीज को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है। इसके अलावा मरीज के लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवाइयां दी जाती हैं। आयुर्वेद में श्वांस कुठार रस और गोदंती भस्म भी दी जाती है। होम्योपैथी पद्धति में मानसिक और शारीरिक लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं। साथ ही मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी दवाएं देते हैं।
इसमें प्राणायाम और योग अधिक प्रभावी
सीओपीडी में योग और प्राणायाम संजीवनी बूटी की तरह काम करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति इन्हें नियमित करता है तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है। सीओपीडी के शुरुआती चरण में प्राणायाम करने से इसकी गंभीरता बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। इसके लिए कपालभाति, अनुलोम-विलोम, आेम के उच्चारण के साथ सूर्यनमस्कार, सर्वांगासन, भुजंगासन और सिंहासन कर सकते हैं। लेकिन इन्हें करने से पहले विशेषज्ञ की राय जरूर लें।
सीओपीडी में योग और प्राणायाम संजीवनी बूटी की तरह काम करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति इन्हें नियमित करता है तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है। सीओपीडी के शुरुआती चरण में प्राणायाम करने से इसकी गंभीरता बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। इसके लिए कपालभाति, अनुलोम-विलोम, आेम के उच्चारण के साथ सूर्यनमस्कार, सर्वांगासन, भुजंगासन और सिंहासन कर सकते हैं। लेकिन इन्हें करने से पहले विशेषज्ञ की राय जरूर लें।
सावधानी
वजन बढ़ने से रोकें और धूम्रपान न करें। वायु प्रदूषण वाली जगहों पर न जाएं। अगर सीओपीडी से परेशान हैं तो दवाएं समय पर और नियमित रूप से लें। डॉक्टर से सलाह लेकर ही एक्सरसाइज या योग करें।
वजन बढ़ने से रोकें और धूम्रपान न करें। वायु प्रदूषण वाली जगहों पर न जाएं। अगर सीओपीडी से परेशान हैं तो दवाएं समय पर और नियमित रूप से लें। डॉक्टर से सलाह लेकर ही एक्सरसाइज या योग करें।
देसी नुस्खे
– Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) के मरीजों को हमेशा गुनगुना पानी पीना चाहिए। गुनगुने पानी से कफ हल्का होता है और फेफड़ों को भी आराम मिलता है।
– गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से सूजन कम होती है। शहद एंटीबायोटिक की तरह काम करत है जिससे संक्रमण की आशंका भी कम हो जाती है।
– दालचीनी को गुड़ या शहद के साथ दिन में 2-3 बार लेने से भी इसमें राहत मिलती है।
– दूध में हल्दी, अदरक का रस, शहद और तुलसी की पत्तियों का रस मिलाकर पीने से कफ बनना रुक जाता है।
– रोजाना रात में सोने से पहले लहसुन की 4-5 कली का पेस्ट बनाकर दूध में उबालकर ठंडा होने पर पीएं, संक्रमण कम होगा।
– Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) के मरीजों को हमेशा गुनगुना पानी पीना चाहिए। गुनगुने पानी से कफ हल्का होता है और फेफड़ों को भी आराम मिलता है।
– गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से सूजन कम होती है। शहद एंटीबायोटिक की तरह काम करत है जिससे संक्रमण की आशंका भी कम हो जाती है।
– दालचीनी को गुड़ या शहद के साथ दिन में 2-3 बार लेने से भी इसमें राहत मिलती है।
– दूध में हल्दी, अदरक का रस, शहद और तुलसी की पत्तियों का रस मिलाकर पीने से कफ बनना रुक जाता है।
– रोजाना रात में सोने से पहले लहसुन की 4-5 कली का पेस्ट बनाकर दूध में उबालकर ठंडा होने पर पीएं, संक्रमण कम होगा।