कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में सबसे ज्यादा टीबी का खतरा देखा जा रहा है। तो चलिए जानें कि टीबी के लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। टीबी के लक्षण
1. टीबी का एक प्रमुख लक्षण है खांसी। अगर आपको तीन हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी हो तो इसे नजरअंदाज न करें।
2. खांसी में खून आना
3. सीने में दर्द या सांस लेने और खांसने में दर्द होना
4. लगातार वजन कम होना
5. चक्कर आना
6. रात में पसीना आना
7. ठंड लगना
8. भूख न लगना
2. खांसी में खून आना
3. सीने में दर्द या सांस लेने और खांसने में दर्द होना
4. लगातार वजन कम होना
5. चक्कर आना
6. रात में पसीना आना
7. ठंड लगना
8. भूख न लगना
टीबी होने के संभावित कारण
टीबी के संभावित रोगों में अब कोरोना भी बड़ा कारण हो गया है। हालांकि इसके अलावा एचआइवी एड्स, डायबीटीज, किडनी की बीमारी, कैंसर,किसी अंग के ट्रांसप्लांट होने पर दी गईं दवाइयों या पोषक तत्वों की गंभीर कमी के कारण भी इसका खतरा होता है।
टीबी के संभावित रोगों में अब कोरोना भी बड़ा कारण हो गया है। हालांकि इसके अलावा एचआइवी एड्स, डायबीटीज, किडनी की बीमारी, कैंसर,किसी अंग के ट्रांसप्लांट होने पर दी गईं दवाइयों या पोषक तत्वों की गंभीर कमी के कारण भी इसका खतरा होता है।
टीबी का इलाज
टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है। सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में इसका फ्री इलाज होता है। सबसे जरूरी है कि इलाज टीबी के पूरी तरह ठीक हो जाने तक चले। बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि आम दवाएं असर नहीं करतीं।
DOTS
डॉट्स (DOTS) यानी ‘डायरेक्टली ऑब्जर्व्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स’ टीबी के इलाज का अभियान है। इसमें टीबी की मुफ्त जांच से लेकर मुफ्त इलाज तक शामिल है। इस अभियान में हेल्थ वर्कर मरीज को अपने सामने दवा देते हैं ताकि मरीज दवा लेना न भूले। हेल्थ वर्कर मरीज और उसके परिवार की काउंसेलिंग भी करते हैं। साथ ही, इलाज के बाद भी मरीज पर निगाह रखते हैं। इसमें 95 फीसदी तक कामयाब इलाज होता है।
टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है। सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में इसका फ्री इलाज होता है। सबसे जरूरी है कि इलाज टीबी के पूरी तरह ठीक हो जाने तक चले। बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि आम दवाएं असर नहीं करतीं।
DOTS
डॉट्स (DOTS) यानी ‘डायरेक्टली ऑब्जर्व्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स’ टीबी के इलाज का अभियान है। इसमें टीबी की मुफ्त जांच से लेकर मुफ्त इलाज तक शामिल है। इस अभियान में हेल्थ वर्कर मरीज को अपने सामने दवा देते हैं ताकि मरीज दवा लेना न भूले। हेल्थ वर्कर मरीज और उसके परिवार की काउंसेलिंग भी करते हैं। साथ ही, इलाज के बाद भी मरीज पर निगाह रखते हैं। इसमें 95 फीसदी तक कामयाब इलाज होता है।
टीबी से बचने के उपाय
बच्चों को बीसीजी का टीका लगवाएं। ताकि टीबी का खतरा न हो।
टीबी के मरीज से दूरी बनाएं और उसका बेड, तौलिया आदि शेयर न करें और एक ही कमरे में न सोएं।
मास्क का इस्तेमाल करें।
टीबी के मरीज के साथ न खाएं न बर्तन शेयर करें। मरीज का बर्तन आदि सब अलग रखें।
बच्चों को बीसीजी का टीका लगवाएं। ताकि टीबी का खतरा न हो।
टीबी के मरीज से दूरी बनाएं और उसका बेड, तौलिया आदि शेयर न करें और एक ही कमरे में न सोएं।
मास्क का इस्तेमाल करें।
टीबी के मरीज के साथ न खाएं न बर्तन शेयर करें। मरीज का बर्तन आदि सब अलग रखें।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।