कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी हृदय को लगातार धड़काने का काम करती है। इस बायपास ग्राफ्टिंग तकनीक में हाथ या सीने के दोनों तरफ से धमनी लेकर हृदय की धमनी के ब्लॉकेज वाले हिस्से के आगे से जोड़ देते हैं। सर्जरी के साथ एनेस्थीसिया में प्रयोग होने वाली दवाएं भी सुरक्षित हैं।
हमारे हृदय में मांसपेशियों को रक्त पहुंचाने वाली ३ प्रमुख रक्तवाहिकाएं हैं। इनमें ७० प्रतिशत से ज्यादा, आंशिक या पूर्ण रूप से ब्लॉकेज, बाईं ओर की मुख्य कोरोनरी आर्टरी के ब्लॉकेज, किसी रोग के कारण रोगी की स्थिति गंभीर हो तो एंजियोप्लास्टी के बजाय सीएबीसी करते हैं। इससे हृदय की कार्यक्षमता लंबे समय तक बरकरार रहती है।
हृदय की धमनी में चाहे मामूली या बड़ा ब्लॉकेज है यह तकनीक उपयोगी है। लेकिन जो व्यक्ति अधिक वजनी, अनियंत्रित मधुमेह, पहले रेडिएशन थैरेपी ले चुके, सांस संबंधी दिक्कतेंं या सीने की बनावट में विकृति है इसे प्रयोग में लेने से बचते हैं।
सीएबीजी के बाद दवाएं लेनी होती हैं ताकि रिकवरी जल्द हो सके। साथ ही यदि रोगी पहले से मधुमेह, हाई बीपी, किडनी संबंधी रोग या सीओपीडी से पीडि़त हैं तो भी दवाएं इन रोग की दवाओं के साथ जारी रहती हैं।
धमनी में ही जब बायपास सर्जरी के तहत पैर की नस लगाकर ब्लॉकेज दूर करते हैं तो अगले 10 साल बाद वह धमनी 60-70 प्रतिशत बंद हो जाती है। वहीं सीएबीजी में धमनी में ही धमनी का ग्राफ्ट लगने से अगले 10 साल बाद भी वह धमनी 90 – 95 फीसदी सही और खुली रहती है।