
Coronavirus: Can fight corona in these Ayurvedic ways
Coronavirus: कोरोना आज विश्वव्यापी महामारी का रूप ले चुका है। इस वायरस की अभी तक कोई दवा न होने से लोगों में काफी दहशत है। ऐसे में लोगों ने एक बार फि र भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्घतियों पर भरोसा जताते हुए आयुर्वेद को मान्यता दी है। कई लोगों ने इस को अपनाना शुरू किया है। आयुर्वेदाचायरें का मानना है कि इस पद्घति से कोरोना को दूर किया जा सकता है।
राज्य आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयसवाल ने बताया कि "आयुर्वेद में बहुत सी ऐसी असरकारी दवाएं हैं जो हजारों वषरें से कई तरह की बीमारी में अचूक असर कर रही है। परंतु हमारे देश में लोग आधुनिक चिकित्सा पद्घति के सामने सामान्यत: आयुर्वेद को वरीयता नहीं देते हैं।
डॉ. जायसवाल ने बताया कि आज हम सब जिस कोविड-19 रोग से लड़ रहे हैं उसका पहला कदम बचाव करना है। इसके लिए सबसे पहले स्वच्छता को अपनाना होगा। इसके अलावा जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, उनके संक्रमित होने का खतरा सबसे कम होता है। इसीलिए आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली विभिन्न औषधि, योगों एवं आहार (खानपान) और विहार (दिनचर्या ) बताये गए हैं।
उन्होंने बताया कि आहार में मौसमी हरी सब्जियों का सेवन करें। मौसमी फलों का ही प्रयोग करें। दूध एवं घी का नियमित सेवन करें। यह नियमित लिए जाने वाले रसायन हैं, कुछ लोग दही का नियमित सेवन करते हैं। दही का सामान्य सेवन वसंत और गरमी में करना मना है, क्योंकि दही उष्ण-अभिश्यंदि गुण के कारण कफ ज्यादा बनाता है। यदि सेवन करना हो तो दिन मेंही अल्प मात्रा में करें और मिश्री आंवले का चूर्ण मिलाकर ही करें। ताजे बने मट्ठे का सेवन हमेशा लाभकारी होगा।
आधे पेट ही भोजन करें शेष आधा भाग खाली रखना चाहिए जिससे पेट कभी खराब नहीं होता भोजन अच्छा पचता है और भोजन का सार शरीर को पोषण और रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। खाने के आधे घंटे बाद गुनगुने या सादे पानी का सेवन करें। आजकल बाहर जाना नुकसानदायक होगा, इसलिए घर के अंदर ही या छत पर खुले में सुबह शाम आधे घण्टे योग एवं आसनों का प्रयोग करें।
उन्होंने बताया कि वैसे तो नियमित दिनचर्या से ही स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। सामान्य सर्दी खांसी में सितोपलादि चूर्ण 3-5 ग्राम मधु व देशी घी के साथ दिन में 3-4 बार यदि कफ ज्यादा बन रहा हो तो इसमे 500 मिग्रा शुद्घ टंकण और पिप्पली चूर्ण 500 मिग्रा के साथ ले सकते हैं। सामान्य बुखार में सुदर्शन घन वटी-महा सुदर्शन चूर्ण का सेवन। मधुमेह के रोगी नियमित हल्दी और आमलकी चूर्ण का सेवन करें। कब्जियत के रोगी-हिंगवस्टक चूर्ण का नियमित सेवन करें। अनिद्रा रोगी अश्वगंधा, मुलेठी व शतावरी चूर्ण का सेवन करें।
Published on:
14 Apr 2020 05:49 pm
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