द लांसेट मेडिकल जर्नल प्रकाशित एक अध्ययन के आधार फ्रांसीसी स्वास्थ्य मंत्री वेरन ने चेताया कि एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं जैसे कि इबुप्रोफेन, द्वारा बढ़ाया गया एक एंजाइम COVID -19 संक्रमण के प्रभाव को और खराब कर सकता है।
डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के विशेषज्ञ इस तथ्य की जांच कर रहे हैं। फिलहाल, हमारी सलाह कि सेल्फ मेडिकेशन के लिए पेरासिटामोल ( Paracetamol ) का उपयोग करें, और इबुप्रोफेन के उपयोग से बचें।
उन्होंने कहा कि अगर इबुप्रोफेन किसी चिकित्सक द्वारा दी जाती है, तो यह उनके ऊपर निर्भर करता है। लिंडमियर ने यह टिप्पणी, वेरन के उस ट्वीट के बाद की जिसमें कहा गया कि इबुप्रोफेन और इसी तरह की एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का उपयोग COVID -19 संक्रमणों को बढ़ाने का कारण हो सकता है। इसलिए बुखार के लक्षणों में पेरासिटामोल लें।
फ्रांसीसी मंत्री ने जोर देकर कहा कि पहले से ही एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं के साथ इलाज कर रहे रोगियों को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। पेरासिटामोल को भी अनुशंसित खुराक के अनुसार कड़ाई से लेना चाहिए, क्योंकि इसका ज्यादा सेवन जिगर को नुकसान पहुंचा सकता है।
द लांसेट मेडिकल जर्नल का दावा
मानव रोगजनक कोरोनावायरस (गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस और SARS-CoV-2) एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 (ACE2) के माध्यम से अपने लक्ष्य कोशिकाओं को बांधते हैं, जो फेफड़े, आंत, गुर्दे से संबंधित होती है। ACE2 का स्तर उन टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में काफी बढ़ जाता है। जिनका इलाज ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन II टाइप -1 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (ARBs) के साथ किया जाता है । उच्च रक्तचाप के इलाज में ACE इनहिबिटर् और ARBs का उपयोग किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप ACE2 के स्तर में बढ़ोतरी होती है। इसे थियाजोलिडाइनायड्स और इबुप्रोफेन द्वारा भी बढ़ाया जा सकता है। ये आंकड़े बताते हैं मधुमेह में वृद्धि में ACE इनहिबिटर्स और ARBs के साथ उपचार ACE2 स्तर को बढ़ाता है। नतीजतन, ACE2 का यह स्तर COVID-19 संक्रमण को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष के तौर पर वैज्ञानिकों ने कहा कि हम इस बात की परिकल्पना करते हैं कि ACE2- उत्तेजक दवाओं के साथ मधुमेह और उच्च रक्तचाप के उपचार से गंभीर और घातक COVID-19 विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
ध्यान रखें कि COVID-19 महामारी से दुनिया भर में लगभग 190,000 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 8 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं, ज्यादातर लोगों में इसके हल्के लक्षण होते हैं, लेकिन इसके परिणामस्वरूप निमोनिया भी हो सकता है और कुछ मामलों में गंभीर बीमारी जो कई अंग विफलता का कारण बन सकती है।