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Coronavirus Update: ठीक हाेने के बाद भी सेहत पर रह सकता है Covid-19 का गंभीर असर

Coronavirus Update: नोवल कोरोना वायरस से दुनियाभर में अबतक 43 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। और 2 लाख 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। कोविड-19 का इलाज तलाश करने में विश्वभर के वैज्ञानिक जी जान से जुटे हैं। ऐसी स्थिति के बीच ब्रिटेन के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह चिंता जताई है कि...

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Coronavirus Update: You May suffer lifetime from Covid-19 Pain

Coronavirus Update: ठीक हाेने के बाद भी सेहत पर रह सकता है Covid-19 का गंभीर असर

coronavirus Update: नोवल कोरोना वायरस से दुनियाभर में अबतक 43 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। और 2 लाख 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। कोविड-19 का इलाज तलाश करने में विश्वभर के वैज्ञानिक जी जान से जुटे हैं। ऐसी स्थिति के बीच ब्रिटेन के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह चिंता जताई है कि कोरोना संक्रमण को मात देने वाले मरीजों को उससे उत्पन्न जटिलताओं का ताउम्र सामना करना पड़ सकता है। इनमें शारीरिक दुर्बलता से लेकर फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क को हुआ नुकसान और निशक्तता तक शामिल है। उन्होंने कोरोना को मौजूदा पीढ़ी के लिए पोलियो जितना खतरनाक तक करार दिया है।

विशेषज्ञों ने संक्रमितों से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर दावा किया है कि कोरोना के लक्षण आते-जाते रह सकते हैं। कई मामलों में मरीज को 30 दिन या उससे अधिक समय तक इनसे जूझना पड़ सकता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से आंकी गई संक्रमण की दो हफ्ते की आधिकारिक अवधि से कहीं ज्यादा है। सघन चिकित्सा में रखे गए मरीजों को कोरोना ठीक होने के बाद हृदय, फेफड़ों और मांसपेशियों के विकार की समस्या सता सकती है।

दिल पर पड़ता है असर
पूर्वी लंदन में कोरोना से उबरने वाली एक महिला दिल की गंभीर बीमारी का शिकार हो गई है। डॉक्टरों के मुताबिक सर्दी-जुकाम और बुखार की गिरफ्त में आने के नौ हफ्ते बाद उसे ‘डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी' की शिकायत हो गई। इस बीमारी में हृदय की कोशिकाओं में सूजन आने से शरीर के विभिन्न हिस्सों में खून का प्रवाह मुश्किल हो जाता है। महिला के अनुसार खानपान पर नियंत्रण और व्यायाम के जरिये ‘डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी' के लक्षणों में सुधार तो आता है, लेकिन कुछ मामलों में पेसमेकर लगवाने की जरूरत पड़ सकती है। कई मामलों में हृदय प्रतिरोपण तक की नौबत भी आ सकती है। महिला ने बताया कि उसे सांस लेने में अब भी कई बार तकलीफ महसूस होती है।

पोलियाे का डर
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इलाज करने वाले फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. निकोलस हार्ट ने दावा किया है कि कोरोना वायरस मौजूदा पीढ़ी के लिए पोलियो बनकर उभर सकता है। लक्षण पनपने के कई महीनों या फिर वर्षों बाद तक इससे पैदा समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। हार्ट का दावा उन लोगों को डराने के लिए काफी है, जो 1950 के दशक में हजारों की जान लेने और बड़े पैमाने पर लोगों में निशक्तता का सबब बनने वाली पोलियो महामारी के गवाह रह चुके हैं। 1947 से 1956 (जब पोलियो के टीके की खोज हुई) के बीच ब्रिटेन में पोलियो हर साल औसतन आठ हजार की दर से मरीजों को संक्रमित कर रहा था।