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Coronavirus: कोरोना वैक्सीन की बनने का सफर नहीं है आसान

कोरोना महामारी की चपेट में अब तक लगभग सवा 1 करोड़ लोग आ चुके हैं जबकि पौने 6 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इस समय सभी निगाहें कोरोना के वैक्सीन पर टिकी हैं कि कब कोरोना का वैक्सीन सामने आये और इस महामारी से छुटकारा मिले।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Jul 17, 2020

Coronavirus: कोरोना वैक्सीन की बनने का सफर नहीं है आसान

Covid-19: The journey to become a corona vaccine is not easy

बीजिंग। इस जानलेवा कोरोना वायरस ने पिछले छह महीनों से पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। इस महामारी की चपेट में अब तक लगभग सवा 1 करोड़ लोग आ चुके हैं जबकि पौने 6 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इस समय सभी निगाहें कोरोना के वैक्सीन पर टिकी हैं कि कब कोरोना का वैक्सीन सामने आये और इस महामारी से छुटकारा मिले। लेकिन अब तक इस महामारी की रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है।

फिलहाल, दुनिया भर में 120 जगहों पर कोरोना का वैक्सीन बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ देशों ने तो वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण शुरू कर दिया है और कुछ ने तो वैक्सीन तैयार कर लेने का दावा भी कर दिया है।

रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने तो दुनिया का पहला कोरोना वैक्सीन तैयार कर लेने का दावा किया है। उसके अनुसार इस वैक्सीन के सभी परीक्षण सफल रहे हैं, और इस साल के अगस्त मध्य तक दुनियाभर के लोगों के लिए बाजार में उपलब्ध हो सकता है।

वहीं, भारत की बात करें तो हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है। हालांकि, अभी इसका मानव परीक्षण चल रहा है। भारत बायोटेक के अलावा और अन्य भारतीय कंपनियों ने भी कोरोना वैक्सीन तैयार कर लेने की बात की है।

इन भारतीय फार्मा कंपनियों में जेडियस कैडिला, पैंसिया बायोटेकऔर सीरम इंस्टीट्यूट शामिल हैं। उन सभी भारतीय फार्मा कंपनियों का दावा है कि उनका परीक्षण सफल रहा है। माना जा रहा है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक मिलकर इस साल की 15 अगस्त को कोविड-19 का वैक्सीन लॉन्च कर देंगे।

लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस पर सवाल उठा रहे हैं कि वैक्सीन तैयार करने के लिए जितने समय की जरूरत होती है और जिन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है, क्या उनका पालन किया गया है। दरअसल, वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है, और हर चरण में वैक्सीन के असफल होने की दर सबसे ज्यादा रहती है। अभी तक का सबसे जल्दी तैयार किया गया वैक्सीन 4 साल में बना है। ज्यादातर वैक्सीन को बाजार तक पहुंचने में 5 से 15 साल का वक्त लग जाता है। लेकिन ऐसे में कोरोना वैक्सीन के जल्दी से आने की उम्मीद करना बेमानी होगी।

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन कई बार कह चुका है कि बिना प्रभावी वैक्सीन या दवा के कोरोना वायरस पर काबू पाना मुश्किल है। संयुक्त राष्ट्र का भी कहना है कि सामान्य जीवन में लौटने के लिए वैक्सीन ही एकमात्र विकल्प है। उसके लिए दुनिया को वैक्सीन बनाने में साथ आने की जरूरत है, साथ ही इसकी फंडिंग के लिए भी एकजुट होने की भी आवश्यकता है।

खैर, कोविड-19 के वैक्सीन को विकसित करने के लिए सभी काबिल देशों द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभी भी इस दिशा में काफी कुछ करने की जरूरत है, क्योंकि वैक्सीन विकसित होने के बाद सबसे पहला काम होगा यह पता लगाना कि वह वैक्सीन कितना कारगर और सुरक्षित है। ऐसा न हो कि कहीं मानव पर किसी तरह का गलत असर पड़ जाए। पर उम्मीद करते हैं कि वैक्सीन पूरी तरह कामयाब रहे, और जल्द-से-जल्द लोगों को मिल जाए।

अखिल पाराशर
(लेखक : अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप में पत्रकार हैं। साभार-चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)