रिपोर्ट के अनुसार बंगाल में लगभग 21 प्रतिशत बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं। इसके अलावा सिक्किम, त्रिपुरा और मणिपुर और इसके आस-पास के राज्यों की भी हालत कुछ ऐसी ही है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए बच्चों की बदल रही दिनचर्या व खान-पान को प्रमुख कारण बताया है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुछ आनुवांशिक कारणों और जीवनशैली, खान-पान के कारण बच्चे टाइप-1 और टाइप-2 दोनों ही किस्म के मधुमेह के शिकार होते जा रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों में बच्चों में मधुमेह के मामले में भारत में ही स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। बीमार बच्चों की आंखें और किडनी पूरी तरह कमजोर हो सकती है। मूलत: अधिक वजन वाले और खेल-कूद कम करने वाले बच्चे ज्यादातर इसकी चपेट में आ रहे हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार आजकल बच्चे फास्ट फूड अधिक ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक्स, पैकेट्स जूस आदि का सेवन भी अधिक कर रहे हैं। इसके अलावा बच्चों का व्यायाम न करना, आउटडोर गेम न खेलना, देर तक सोना आद भी उन्हें तेजी से मधुमेह की ओर धकेल रहा है।
विशेषज्ञाें के अनुसार बदलते समय के साथ बच्चों का रहन-सहन बदलता जा रहा है। दिनचर्या बदल गई है। बच्चे जंक व फास्ट फूड का सेवन अधिक कर रहे हैं। आजकल के ज्यादातर बच्चों ने व्यायाम या बाहरी खेलकूद करना बंद कर दिया है। इसकी वजह से उनका तेजी से वजन बढ़ रहा है। मोटापा और मधुमेह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।