रीढ़ की हड्डी के विकार
न्यूरो विशेषज्ञ के अनुसार रीढ़ की हड्डी का ढांचा 33 वर्टिब्रे के आपसी जुड़ाव के साथ स्पंजी डिसक से बना है जिसे इंटर वर्टिब्रल डिसक कहते हैं। इस इंटर वर्टिब्रल डिसक के अंदर जैली जैसा पदार्थ होता है। दूसरी मांसपेशियों के ऊत्तकों के मुकाबले ये डिसक बहुत जल्दी विकृत होकर टूटने लगती है और जैली जैसा पदार्थ बाहर आने लगता है इस स्थिति को हर्निएटिड डिसक कहते हैं।
न्यूरो विशेषज्ञ के अनुसार रीढ़ की हड्डी का ढांचा 33 वर्टिब्रे के आपसी जुड़ाव के साथ स्पंजी डिसक से बना है जिसे इंटर वर्टिब्रल डिसक कहते हैं। इस इंटर वर्टिब्रल डिसक के अंदर जैली जैसा पदार्थ होता है। दूसरी मांसपेशियों के ऊत्तकों के मुकाबले ये डिसक बहुत जल्दी विकृत होकर टूटने लगती है और जैली जैसा पदार्थ बाहर आने लगता है इस स्थिति को हर्निएटिड डिसक कहते हैं।
प्रभावित हिस्से का इलाज
मिनिमल इंवेजन प्रक्रिया (मास्ट) में 2-3 छोटे छेद किए जाते हैं जिससे रोगी रिकवरी के बाद आसानी से सामान्य क्रियाकलाप कर सकता है। इस प्रक्रिया में एक सिरे पर कैमरा लगे छोटे से एंडोस्कोप को त्वचा के भीतर डालते हैं। कैमरे से सर्जन अंदर की स्थिति देखता है और रीढ़ की प्रभावित हड्डी का इलाज करता है।
मिनिमल इंवेजन प्रक्रिया (मास्ट) में 2-3 छोटे छेद किए जाते हैं जिससे रोगी रिकवरी के बाद आसानी से सामान्य क्रियाकलाप कर सकता है। इस प्रक्रिया में एक सिरे पर कैमरा लगे छोटे से एंडोस्कोप को त्वचा के भीतर डालते हैं। कैमरे से सर्जन अंदर की स्थिति देखता है और रीढ़ की प्रभावित हड्डी का इलाज करता है।
एेसे रखें खयाल :
सही तरीके से उठाएं सामान
गलत पाेज में सामान उठाना पीठ में तेज दर्द का कारण बन सकता है, इससे डिसक के चोटिल होने व रीढ़ में फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है। क्षमता से अधिक सामान उठाना व पीठ को झुकाकर रखना रीढ़ पर दबाव डालता है।
सही तरीके से उठाएं सामान
गलत पाेज में सामान उठाना पीठ में तेज दर्द का कारण बन सकता है, इससे डिसक के चोटिल होने व रीढ़ में फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है। क्षमता से अधिक सामान उठाना व पीठ को झुकाकर रखना रीढ़ पर दबाव डालता है।
सही पाेज में लें नींद
सोते समय रीढ़ को आराम दें। पीठ के बल लेटना, पीठ व कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और रीढ़ की हड्डी की सामान्य मुद्रा को बनाए रखता है। वहीं करवट लेकर सोना रीढ़ को सहारा देने वाले लिगामेंट्स व पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है। पेट के बल लेटना, पेट की मांसपेशियों को टोन करता है। सोते समय आधा समय पीठ के बल लेटें, 20 % सीधी व उलटी करवट व शेष समय पेट के बल लेटें। सोते समय रीढ़ व गर्दन के सामान्य घुमाव पर दबाव न डालें।
सोते समय रीढ़ को आराम दें। पीठ के बल लेटना, पीठ व कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और रीढ़ की हड्डी की सामान्य मुद्रा को बनाए रखता है। वहीं करवट लेकर सोना रीढ़ को सहारा देने वाले लिगामेंट्स व पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है। पेट के बल लेटना, पेट की मांसपेशियों को टोन करता है। सोते समय आधा समय पीठ के बल लेटें, 20 % सीधी व उलटी करवट व शेष समय पेट के बल लेटें। सोते समय रीढ़ व गर्दन के सामान्य घुमाव पर दबाव न डालें।
माेटापा घटाएं
रीढ़ की सेहत बहुत हद तक पेट की मांसपेशियों पर निर्भर करती है।पेट में अधिक वसा मांसपेशियों पर खिंचाव डालती है और उन्हें कमजोर बनाती है। इससे रीढ़ के जोड़ कमजोर होते हैं व रीढ़ में अनियमितता का जोखिम बढ़ जाता है। पेट पर अधिक वसा शरीर के भाग को आगे की तरफ शिफ्ट करती है, जिससे पीठ व कमर पर दबाव बढ़ जाता है।
रीढ़ की सेहत बहुत हद तक पेट की मांसपेशियों पर निर्भर करती है।पेट में अधिक वसा मांसपेशियों पर खिंचाव डालती है और उन्हें कमजोर बनाती है। इससे रीढ़ के जोड़ कमजोर होते हैं व रीढ़ में अनियमितता का जोखिम बढ़ जाता है। पेट पर अधिक वसा शरीर के भाग को आगे की तरफ शिफ्ट करती है, जिससे पीठ व कमर पर दबाव बढ़ जाता है।
नशा ना करें
हड्डियों व मांसपेशियों की अच्छी सेहत के लिए ऑक्सीजन का सही स्तर बनाए रखने की जरूरत होती है। निकोटिन खून में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है, जिससे रीढ़ के जोड़ों की अंदरूनी डिसक पर असर पड़ता है। यह डिसक की प्रोटीन संरचना पर भी असर डालता है।
हड्डियों व मांसपेशियों की अच्छी सेहत के लिए ऑक्सीजन का सही स्तर बनाए रखने की जरूरत होती है। निकोटिन खून में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है, जिससे रीढ़ के जोड़ों की अंदरूनी डिसक पर असर पड़ता है। यह डिसक की प्रोटीन संरचना पर भी असर डालता है।
प्रोटीन व कैल्शियम भरपूर आहार लें
प्रोटीन व कैल्शियम से भरपूर आहार ओस्टियोपोरोसिस से बचाव करता है। रीढ़ को मजबूत बनाता है, जिससे रीढ़ के आकार में बदलाव व फ्रेक्चर का जोखिम कम हो जाता है। हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी विटामिन डी के लिए हर रोज कुछ समय सूरज की धूप में बिताएं।
प्रोटीन व कैल्शियम से भरपूर आहार ओस्टियोपोरोसिस से बचाव करता है। रीढ़ को मजबूत बनाता है, जिससे रीढ़ के आकार में बदलाव व फ्रेक्चर का जोखिम कम हो जाता है। हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी विटामिन डी के लिए हर रोज कुछ समय सूरज की धूप में बिताएं।
याेग से दर्द में राहत
एक्युपंचर व योग रीढ़ के आकार को बनाए रखने में खास उपयोगी हैं। खासतौर पर भुजंगासन, शलभासन व पश्चिमोत्तासन का नियमित अभ्यास रीढ़ की सेहत के लिए लाभकारी हैं। पीठ दर्द की समस्या बार-बार होने पर अच्छे चिकित्सक को दिखाएं। फिजियोथेरेपी के जरिए रीढ़ को समय से पहले बुढ़ाने से रोका जा सकता है।
एक्युपंचर व योग रीढ़ के आकार को बनाए रखने में खास उपयोगी हैं। खासतौर पर भुजंगासन, शलभासन व पश्चिमोत्तासन का नियमित अभ्यास रीढ़ की सेहत के लिए लाभकारी हैं। पीठ दर्द की समस्या बार-बार होने पर अच्छे चिकित्सक को दिखाएं। फिजियोथेरेपी के जरिए रीढ़ को समय से पहले बुढ़ाने से रोका जा सकता है।