पेट में दर्द, पेट फूलना, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, डायरिया, थकान, माइग्रेन, एकाग्रता में कमी या जोड़ों में दर्द आदि समस्याएं होती हैं। इससे ऑटोइम्यून डिजीज भी होती हैं। इसके दुष्प्रभाव से इंफर्टिलिटी भी हो सकती है। लक्षणों की अनदेखी न करें।
फूड इंटॉलरेंस व फूड एलर्जी में अंतर है। दोनों में किसी फूड से शरीर की इम्युनिटी प्रभावित होती है। फूड एलर्जी सेंसिटिविटी से जुड़ी है जिसका असर तुरंत होता है। इससे अस्थमा जैसा दौरा, होठ सूजना व शरीर पर लाल चकत्ते उभरते हैं। वहीं फूड इंटॉलरेंस धीमी प्रतिक्रिया है जिससे कम/ज्यादा बुरा असर होता है।
ब्लड टैस्ट से 210 तरह के फूड ग्रुप (रेड, येलो और ग्रीन) का पता चलता है। लैब टैस्ट के साथ रोगी की मेडिकल हिस्ट्री देखते हैं। इलाज के लिए जिस फूड से परेशानी है उससे परहेज करें। लक्षणों के आधार पर मरीज को दवाएं व अच्छी डाइट देते हैं।