इनेमल पर जमा भोजन करता जड़ को खोखला
दांतों की ऊपरी परत इनेमल पर भोजन का अंश चिपका रह जाता है और सही ब्रशिंग न होने से जमता व सड़ता जाता है। ध्यान न देने से यह संक्रमण दांतों की जड़़ों को खोखला कर व नसों पर दबाव डाल तेज दर्द का रूप ले लेता है।
गोली से भी दर्द नहीं मिटता
दांतों की बाहरी सतह पर कैविटी से कोई परेशानी नहीं होती लेकिन अंदर की जड़ तक पहुंचने के बाद भयंकर दर्द होता है। इस स्थिति में पेनकिलर दवाएं भी दर्द दूर नहीं कर पातीं। ठंडा, गर्म, मीठा और खट्टी चीजें इस दर्द को बढ़ाती हैं। सूजन के साथ पस की समस्या भी हो सकती है। गंभीर स्थिति में दांतों की हड्डियां भी गल सकती हैं।
बचाव:
दोनों टाइम ब्रश व कुल्ला करें
सुबह-शाम नियमित रूप से ब्रश करके दांतों पर गंदगी जमने की समस्या से बचा जा सकता है। दांतों पर चिपकने वाली व मीठी चीजें और भोजन के बाद कुल्ला भी करना चाहिए। दवाएं व बिस्किट खाने के बाद भी कुल्ला करें।
इलाज :
फिलिंग से रूट कैनाल तक
दांतों की बाहरी सतह की कैविटी के लिए फिलिंग की जाती है। इंफेक्शन होने पर रूट कैनाल ट्रीटमेंट किया जाता है। जिसमें रोग के फैलाव के अनुसार एक या उससे ज्यादा बार सिटिंग दी जाती है। मोलर-प्री-मोलर (दाढ़) की कैविटी में इलाज के बाद कैप लगाई जाती है ताकि खाने से दांत को नुकसान न पहुंचे।
रूट कैनाल ट्रीटमेंट
स्टेप-1
दांत या आसपास के प्रभावित हिस्से को सुन्न करते हैं। दांत के क्राउन में ड्रिल से छेद कर या पहले से छेद को चौड़ा कर पल्प तक रास्ता बनाया जाता है।
स्टेप-2
स्पेशल एंडोडॉन्टिक फाइल से संक्रमित पल्प को बाहर निकालकर दांत को अंदर से साफ कर दिया जाता है ताकि फिलिंग की जा सके।
स्टेप-3
पल्प वाली जगह व ऊपरी खाली स्थान में फिलिंग करते हैं। इससे दांतों में संक्रमण व खाद्य पदार्थ जमने का खतरा कम हो जाता है।
स्टेप-4
अंत में इस दांत पर क्राउन (कैप) लगा दिया जाता है जो दांत या अन्य मेटल के रंग का भी हो सकता है। इसे फिलिंग ैमैटीरियल से जोड़ दिया है।
ब्रशिंग टेक्नीक
मसूढ़ों पर ब्रश को ऊपर-नीचे व गोल घुमाएं। हर दांत पर इसे दोहराएं। दांतों की पीछे की तरफ दाढ़ पर सीधा ब्रश करें। बत्तीसी के बीच वाले ऊपर व नीचे को दांतों को साफ करने के लिए ब्रश के टिप को आगे-पीछे कर ब्रश करें।