14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शादी से पहले जरूर कराएं इस रोग की जांच, नहीं तो हो सकते हैं बड़े नुकसान

थैलेसीमिया मुख्य रूप से खून से जुड़ी बीमारी है। इसमें बच्चे के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती हैं या यूं कहें कि इन कोशिकाओं की आयु भी बहुत कम हो जाती है। इसलिए इन रोगियों में बार-बार खून की जरूरत पड़ती है। इस रोग से पीडि़त बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।

less than 1 minute read
Google source verification

जयपुर

image

Jyoti Kumar

Sep 12, 2023

thalassemia_test_before_marriage.jpg

थैलेसीमिया मुख्य रूप से खून से जुड़ी बीमारी है। इसमें बच्चे के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती हैं या यूं कहें कि इन कोशिकाओं की आयु भी बहुत कम हो जाती है। इसलिए इन रोगियों में बार-बार खून की जरूरत पड़ती है। इस रोग से पीडि़त बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।

ऐसे समझें बीमारी को
शरीर में सफेद व लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं। थैलेसीमिया रोग में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण उस गति से नहीं हो पाता जिस हिसाब से शरीर को आवश्यकता होती है। इसलिए ब्लड की जरूरत पड़ती है।

कारण
थैलेसीमिया एक वंशानुगत रोग है। अगर माता या पिता किसी एक में या दोनों में थैलेसीमिया के लक्षण है तो यह रोग बच्चे में हो सकता है। अगर माता-पिता दोनों को ही यह रोग है लेकिन दोनों में माइल्ड (कम घातक) है तो बच्चे को थैलेसीमिया होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए अब शादी से पहले थैलेसीमिया जांच कराने के बारे में सलाह दी जाती है।

लक्षण
इस बीमारी में रोगी के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं कम होने की वजह से एनीमिया की समस्या होने लगती है। मरीज का हर समय कमजोरी, थकावट महसूस करना, पेट में सूजन, यूरिन का रंग पीला होना व त्वचा का रंग पीला पडऩे जैसे लक्षण होते हैं।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट
थैलेसीमिया का इलाज, रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। कई बार थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों को एक महीने में 2 से 3 बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। बोन मैरो प्रत्यारोपण से इस रोग का इलाज सफलतापूर्वक संभव है लेकिन बोन मैरो का मिलान मुश्किल प्रक्रिया है। इसके अलावा रक्ताधान, दवाएं और सप्लीमेंट्स, प्लीहा या पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए सर्जरी कर भी इस रोग का उपचार कर सकते हैं।