मसूढ़ों में सूजन के अलावा खून आना, दर्द और जलन होना अहम हैं। मसूढ़ों का रंग बदलना और चमकीले होना भी इसकी पहचान है। कारण ( Gingivitis cause)
दांतों पर बैक्टीरिया की परत ब्रश करने के बावजूद जमती रहती है। जो दांतों पर पीलेपन के रूप में दिखती है। इसके अलावा किसी प्रकार की एलर्जी या बैक्टीरियल, वायरल व फंगल इंफेक्शन होना। एंटीहाइपरटेंसिव व इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं लेने से भी ऐसा होता है। कई बार एकदम गर्म खानपान भी वजह बनता है। विटामिन-सी की कमी से भी यह दिक्कत होती है।
मुंह व गले से जुड़ा सबएक्यूट बैक्टीरियल एंडोसाइडाइटिस से मसूढ़ों में बार-बार इंफेक्शन होकर जिंजिवाइटिस होता है। ऐसे में यह धीरे-धीरे गले के जरिए शरीर में फैलकर दिल की बीमारी की आशंका को बढ़ा देता है। फ्लोराइड वाला पानी पीने से भी यह हो सकता है।
विटामिन-सी युक्त खट्टी चीजें खाने, काढ़ा व विभिन्न तेलों से गरारे करने व मसूढ़ों की मालिश कर सकते हैं। नीम व बबूल के पेड़ की ताजा डंठल से दातुन करें।
जिंजिवाइटिस के इलाज के लिए पेरियोडॉन्टाइटिस विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। वे दवाओं की मदद से प्लाक हटाते हैं। जरूरत के अनुसार स्केलिंग और रूट प्लानिंग भी करते हैं। मसूढ़ों की मजबूती के लिए विटामिन-सी से भरपूर चीजें जैसे टमाटर, संतरा, पत्तागोभी और ब्रॉकली खाने की सलाह देते हैं। दिन में दो बार (सुबह व सोने से पहले) ब्रश करने, फ्लॉसिंग और मेडिकेटेड माउथवॉश प्रयोग में लेने के लिए भी कहते हैं।
लोगों में धारणा है कि मुंह की बदबू दूर करने के लिए व ब्रश न करने की स्थिति में माउथवॉश फायदेमंद है। मेडिकली देखा जाए तो इनमें ऐसे केमिकल हैं जो अलग-अलग तरीके से काम करते हैं और साइड इफेक्ट छोड़ते हैं। इसलिए डॉक्टरी सलाह से ही इनका प्रयोग करें। वे इसे कब, कैसे और कितने समय के लिए लेना है, के बारे में बताते हैं।