अचानक किसी बात का डर हावी होना। तनाव के साथ दिल की धड़कनें तेज होना। सीने में दर्द, बेचैनी, उल्टी, पेट खराब होना, पैरों का कांपना, जोर-जोर से दिल धड़कना, छोटी-छोटी बातों पर तनाव, सर्दी में भी गर्मी लगना, बैलेंस खोना व बेहोशी छाना प्रमुख लक्षण हैं। यह अटैक किसी को भी आ सकता है। प्रमुख कारण जीवन में आया कोई बड़ा बदलाव है।
20 – 30 मिनट की समयावधि वाले इस पैनिक अटैक का असर शरीर पर गहरा होता है। कई मामलों में इसके बाद इसके होने का डर ही अगले अटैक का कारण बनता है। अक्सर देखा गया है कि जहां भी पैनिक अटैक आता है, लोग वहां जाने से भी घबराने लगते हैं। यदि मरीज की हालत में 10 मिनट के अंदर सुधार न आए तो जल्द ही डॉक्टरी सलाह लें। जिसे यह अटैक आया है उसे खुली जगह पर लेटाकर उसके कपड़े ढीले कर दें। इस दौरान जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें। शांत रहने की कोशिश करें।
मधुमेह रोगी में शुगर लेवल अचानक कम होने से घबराहट के कारण यह अटैक आ सकता है। ये ज्यादा देर भूखे न रहें। बीपी, हृदय, थायरॉयड और अस्थमा रोगियों के लिए यह अटैक एक गंभीर संकेत है। लो और हाई दोनों स्थितियों में बीपी रोगी सतर्क रहें। बीपी व हृदय रोगी को यदि चक्कर आए तो अलर्ट हो जाएं। वहीं अस्थमा रोगी में इस अटैक के दौरान सांस रुकने लगती है या रुकने का अहसास होता है। पहले आए अटैक से डर की स्थिति बन जाए तो हल्के में न लें। युवा और 40 पार में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं। खासकर अधिक तनाव लेने, जॉब जाने का खतरा या प्रतियोगी परीक्षाएं देने वालों में भी इसकी आशंका रहती है। महिलाओं में अधिक तनाव लेने की प्रवृत्ति के कारण तुलनात्मक रूप से ज्यादा खतरा रहता है।