
heart problems: Symptoms and causes
अक्सर लोग सांस फूलना, चक्कर आना, छाती में घबराहट महसूस होना, अचानक कमजोरी होना जैसे लक्षणों को अनेदखा करते हैं जो दिल की किसी समस्या का इशारा हो सकता है। लेकिन इससे पहले कि कुछ गंभीर समस्या हो जाए, यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि दिल की हर तकलीफ हार्ट अटैक नहीं होती है।
लोग अक्सर दिल की बीमारियों को हार्ट अटैक से जोड़कर देखते हैं, जो हमेशा सही नहीं होता। कई बार हार्ट ब्लॉक होने जैसी शिकायत भी होती है, जो घातक साबित हो सकती है। हम जानते हैं कि दिल में कई रक्तवाहिनियां, वाल्व आदि होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हृदय में एक विद्युत प्रणाली यानी इलेक्ट्रिकल सिस्टम भी है। यह कुछ-कुछ ऐसा ही होता है जैसा कि घरों में बिजली के तारों का जाल होता है। हृदय की विद्युत प्रणाली संकेत पैदा करती है जिनसे हृदय को पता चलता है कि कब उसे धड़कना है। लेकिन जब इन सिग्नलों में कोई व्यवधान पैदा होता है तो हार्ट ब्लॉक उत्पन्न होता है। हार्ट ब्लॉक दरअसल, एक प्रकार के एरीथीमिया को कहते हैं जिसे दिल की धड़कन से जुड़ी समस्या कहा जाता है।
एरीथीमिया में दिल की धड़कन असमान हो जाती है। हम सभी कभी-कभी अनियमित धड़कनों के शिकार बनते हैं जिनके चलते दिल दौड़ता-भागता या जोर-जोर से धड़कता महसूस होता है। बहुत बार एरीथीमिया नुकसानरहित होता है लेकिन कई बार, खासतौर पर उस वक्त जबकि वह सामान्य धड़कन से कहीं अलग होता है या फिर कमजोर और क्षतिग्रस्त हृदय की वजह से पैदा होता है तो, ऐसे में घातक लक्षण दिखाई देते हैं।
एरीथीमिया का उपचार -
दवाइयां -
कुछ ऐसे एरीथीमिया भी होते हैं जिनका उपचार दवाओं से मुमकिन होता है
पेसमेकर -
पेसकर को लोकल एनस्थीसिया का इस्तेामल कर कॉलर बोन में लगाया जाता है। पेसमेकर हृदय गति पर नजर रखने के साथ-साथ दिल की सामान्य धड़कन भी सुनिश्चित करता है
कॉर्डियाक रीसिक्रोनाइजेशन थेरेपी (सीआरटी)-
जिन मरीजों का हार्ट फेल हो जाता है उनके लिए संभावित इलाज के तौर पर इस पेसिंग डिवाइस की सलाह दी जाती है। यह डिवाइस हृदय के निचले दोनों चैंबरों को छोटे, पता न लगने वाले इलैक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है ताकि वे एक साथ धड़कें।
आरएफ एब्लेशन -
आरएफ एब्लेशन गैर-शल्यचिकित्सकीय प्रक्रिया है जिसका प्रयोग कुछ प्रकार के एरीथिमिया और प्राय: टैकीकार्डिया के लिए किया जाता है।
इंप्लाटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर -
जिन मरीजों को टैकरीथिमिया या वैंट्रिक्युलर फ्रिब्रिलेशन का जोखिम होता है, उन्हें आईसीडी के तौर पर शॉकिंग डिवाइस लगाई जाती है।
Published on:
07 Jan 2020 02:35 pm
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