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रोग और उपचार

भूलने लगे हैं तो कराएं इस बीमारी की जांच, बाद में हो सकती है मुश्किल

बीमारी ऐसी हो कि इनसान बातों को भूलने लगे, अपनों को ही पहचान न पाए और अपना दुख बता न पाए तो उसका और उसके अपनों का कष्ट कई गुना बढ़ जाता है।

जयपुरSep 22, 2018 / 11:02 am

जमील खान

Alzheimer's

Alzheimer’s

बीमारी ऐसी हो कि इनसान बातों को भूलने लगे, अपनों को ही पहचान न पाए और अपना दुख बता न पाए तो उसका और उसके अपनों का कष्ट कई गुना बढ़ जाता है। ऐसी ही बीमारी है अल्जाइमर। ऐसे में जब बार-बार भूलने लगें तो डाक्टर को दिखाना चाहिए। इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होती है, फोन मिलाने और किसी काम में ध्यान लगाने में दिक्कत आने लगती है, कोई फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है, चीजें इधर उधर रखकर भूल जाते हैं, शब्द भूलने लगते हैं, जिससे सामान्य बातचीत में रुकावट आती है, अपने घर के आसपास की गलियों, रास्तों को भूल जाते हैं और उनके रोजमर्रा के व्यवहार में बहुत तेजी से बदलाव आता है।

अल्जाइमर रोग के भी तीन चरण होते हैं। प्रारंभिक चरण में रोगी अपने दोस्तों और अन्य व्यक्तियों को पहचान सकता है, लेकिन उसे लगता है कि वह कुछ चीजें भूल रहा है। मध्य चरण में उसकी स्मृति के विलोप की प्रक्रिया और अन्य लक्षण धीरे-धीरे उभरने लगते हैं। अंतिम चरण में व्यक्ति अपनी गतिविधियों को नियंत्रण करने की क्षमता खो देता है और अपने दर्द के बारे में भी नहीं बता पाता। यह चरण सबसे दुखदायी है।

सामान्यत: यह रोग वृद्धावस्था में होता है परंतु खान-पान, जीवनशैली के परिवर्तनों के कारण यह समस्या युवाओं में भी प्रकट हो रही है। इसके बचाव के लिए आपके किसी परिजन, मित्र और परिचित में ऐसे लक्षण दिखते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। रोग की जानकारी में ही इसका बचाव है। नियमित व्यायाम करें, पौष्टिक भोजन करें। पीडि़त को अवसाद (डिप्रेशन) से बचाएं, अकेला न छोड़ें। यदि रोगी को रक्तचाप समस्या, मधुमेह, हृदय रोग हैं तो उनकी समुचित चिकित्सा कर नियंत्रण में रखें। पीडि़त को तंबाकू, मद्यपान इत्यादि व्यसनों से मुक्त करें।

यह बीमारी अब केवल बूढ़ों तक ही सीमित नहीं रही है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चल सकती है। इस रोग के प्रारंभिक लक्षण याद्दाश्त में कमी, भौतिक वातावरण और भाषा में बाधा आदि है। अगर बात करें मध्य चरण की तो अल्जाइमर रोग का मध्म चरण आमतौर पर कई सालों तक रहता है। जैसे-जैसे रोगी की उमर बढ़ती जाती है साथ-साथ उसकी बीमारी और भी बढ़ जाती हैं। रोग की जानकारी में ही इसका बचाव है। नियमित व्यायाम करें, पौष्टिक भोजन खाएं। पीडि़त को सक्रिय और सकारात्मक रहना चाहिए। वातावरण को भी सकारात्मक बनाएं रखें। यदि रोगी का रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग हैं तो उनकी समुचित चिकित्सा कर नियंत्रण में रखें और पीडि़त को तंबाकू, मद्यपान इत्यादि व्यसनों से मुक्त करे।

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