
पेट के निचले भाग में दर्द हाे सकता है इस बीमारी का सकेंत
किडनी स्टोन ( kidney stone ) यानी गुर्दे में पथरी के मामले काफी होने लगे हैं। इसके कई कारण हैं जिनका ध्यान रखा जाए तो पथरी को बनने से रोक सकते हैं। जानते हैं इसके लक्षण और इलाज के बारे में-
कुछ स्टोन लंबे समय से किडनी में पड़े रहते हैं जिससे किसी प्रकार का कोई लक्षण सामने नहीं आता। ऐसा किसी अन्य कारण से एक्स-रे कराने या फिर किडनी खराब होने की स्थिति में पता चलता है कि व्यक्ति को पथरी की समस्या है। 75 प्रतिशत मरीजों में पेट या कमर में तेज दर्द, उल्टी जैसा महसूस होने के अलावा खासकर पेट के निचले हिस्से में दर्द लगातार और बार-बार हो सकता है।
कारण
विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण करता है। भोजन में इस विटामिन की कमी से कैल्शियम किडनी के आसपास जमकर स्टोन बनता है। ये पेशाब की थैली में ज्यादा बनते हैं। यूरिनरी इंफेक्शन भी प्रमुख वजह है।
- किडनी के बीच के हिस्से में पाए जाने वाले स्ट्रेप्टोकोकस, स्टेफाइलो कोकस व प्रोटियस जैसे किटाणु (बैक्टीरिया) भी पथरी के लिए जिम्मेदार होते हैं। यदि पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें तो ये यूरिन के जरिए बाहर आ जाते हैं।
- प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने, किडनी या यूरेटर की जगह में सिकुड़न से यूरिन में रुकावट होती है। इसमें मौजूद लवण जमकर पथरी बनते हैं।
- लकवे के रोगी में लेटे या बैठे रहने से हड्डियां गलती हैं और यूरिन में कैल्शियम बढ़कर स्टोन बनाता है।
- जिनमें पैराथायरॉइड ग्रंथि (गले में थायरॉइड ग्रंथि के पीछे स्थित) बढ़ने या इसकी गांठ (एडिनोमा) होती है उनमें पथरी बार-बार व एक से ज्यादा बार होने की समस्या होती है। ऐसा ग्रंथि द्वारा ज्यादा हार्मोन स्त्रावित करने व यूरिन में कैल्शियम बढ़ने से होता है।
- यूरिनरी ब्लैडर में कैथेटर का कोई भाग अंदर रहने, लोहे का पतला तार, धागा, बटन रहने से भी पथरी बन सकती है।
स्टोन के प्रकार
कैल्शियम ऑक्सेलेट- यह आमतौर पर पाया जाने वाला किडनी स्टोन का प्रकार है। इसके ऊपर तीखे उभार होते हैं जिससे यूरिन में खून आता है। यह अक्सर एक ही होता है।
फॉस्फेटिक स्टोन - ये सफेद, समतल व बारहसिंग की आकार के होते हैं जो बिना तकलीफ दिए (साइलेंट) आकार में तेजी से बढ़ते हैं। लक्षण कम व धीरे सामने आते हैं।
यूरिक एसिड स्टोन - ये समतल व कठोर एक से ज्यादा संख्या में पीले-लाल रंग के होते हैं।
प्यूरिक एसिड स्टोन - ये एक्स-रे की बजाय सोनोग्राफी में दिखते हैं। पीले रंग के मुलायम और बिखरने वाले होते हैं।
इलाज
साधारणत: छोटे आकार की पथरी पानी ज्यादा पीने से निकल जाती है। लेकिन बड़े आकार की पथरी यदि किडनी की नली या ब्लैडर को नुकसान पहुंचा रही है तो इसे लेजर (ब्लाइंड लिथोट्रिप्टर), दूरबीन (लिथोट्रिप्सी) से तोड़कर बाहर निकालते हैं। या किरणों के जरिए पथरी को तोड़कर अंदर ही चूरा कर देते हैं जो यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाती है। फिलहाल आसानी से मुड़ने वाली दूरबीन से पथरी को तोड़कर बाहर निकालते हैं। इसे रिट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी कहते हैं।
ये खाएं
केले में मौजूद विटामिन-बी6, सिट्रिक एसिड से युक्त नींबू ऑक्सेलेट एसिड को बनने से रोकता है जिससे स्टोन नहीं बनते। बादाम और नारियल में मौजूद पोटैशियम व मैंग्नीज स्टोन की समस्या से बचाते हैं। जौ, ओट्स, गाजर व करेले में अधिक खनिज होते हैं।
टमाटर, चीकू, तिल, अंगूर, चॉकलेट, काजू, कोल्डड्रिंक, चाय, कॉफी, पपीते के बीज, पालक , मांस-मछली, बैंगन, मशरूम, चना, दूध और दूध से बनी चीजें।
Published on:
22 Aug 2019 10:56 am
बड़ी खबरें
View Allरोग और उपचार
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
