इनके सेवन से यौनेच्छा में कमी, ऊर्जा ह्वास, डिसकनेक्शन और यहां तक कि कई बार आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती हैं। इन दवाओं के सेवन करने वाले अक्सर सुस्त रहने लगते हैं। मेडिकल साइकोथेरेपिस्ट डॉ. रिचर्ड वुलमैन कहते हैं, कोई भी कुशल और पेशेवर जनरल फिजीशियन या मनोचिकित्सक रोगी का पूरा क्लीनिकल डायग्नोसिस करता है, उसके लक्षणों की पड़ताल करता है और फिर तय करता है कि रोगी को सचमुच केमिकल असिस्टेंस दवा की जरूरत है या नहीं।