रोग और उपचार

हाथों में झनझनाहट या सूनापन होने पर हो सकता है कार्पल टनल सिंड्रोम !

आजकल लोगों में हाथ व कलाई का दर्द एक आम बीमारी बनता जा रहा है। इस समस्या को कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं।

जयपुरJan 06, 2019 / 04:12 pm

विकास गुप्ता

आजकल लोगों में हाथ व कलाई का दर्द एक आम बीमारी बनता जा रहा है। इस समस्या को कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं।

कम्प्यूटर या लैपटॉप पर लंबे समय तक काम करने से कई बार हाथों में सूनापन और कलाई में दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। मेडिकल की भाषा में इसे कार्पल टनल कहते हैं। इस रोग के लक्षणों को पहचानने के बाद बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें।

आजकल लोगों में हाथ व कलाई का दर्द एक आम बीमारी बनता जा रहा है। इस समस्या को कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं। इस रोग में जब अन्य कोशिकाएं जैसे कि लिगामेंट्स और टेंडन सूज या फूल जाते हैं तो इसका प्रभाव मध्य कोशिकाओं पर पड़ता है। इस दबाव से हाथ घायल या सुन्न महसूस करता है। कार्पल टनल हड्डियों और कलाई की अन्य कोशिकाओं द्वारा बनाई गई एक संकरी नली होती है। यह नली हमारी मध्य नाड़ी की सुरक्षा करती है। मध्य नाड़ी हमारे अंगूठे, मध्य और रिंग अंगुलियों से जुड़ी होती है। साधारणतया कार्पल टनल सिंड्रोम ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं है। इलाज से यह रोग दूर हो जाता है।

ये हैं कारण –
एक ही हाथ से लगातार काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम की परेशानी हो सकती है। यह सामान्यतः उन लोगों में अधिकतर पाया जाता है जिनके पेशे में कलाई को मोड़ने के साथ पिंचिंग या ग्रीपिंग करने की जरूरत होती है। पुरुषों की तुलना में औरतों को इसका तिगुना खतरा रहता है। औरतों में यह सामान्यतौर पर गर्भावस्था के दौरान, मेनोपोज और वजन बढ़ने के कारण भी होता है। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो कम्प्यूटर पर कार्य करते हैं। इसके अलावा कारपेन्टर, मजदूर, संगीतकार, मैकेनिक, बागवानी करने वाले, सुई का इस्तेमाल करते हुए कई घंटों तक काम करने, गोल्फ खेलने और नाव चलाने का शौक रखने वाले भी कार्पल टनल सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं। यह सिंड्रोम कुछ बीमारियों से भी संबंधित होता है जैसे मधुमेह, आर्थराइटिस या थायरॉइड आदि।

रोगी की पहचान ऐसे करें –
यह रोग सबसे पहले इंडेक्स (तर्जनी) या मिडिल फिंगर (मध्यमा) को प्रभावित करता है। जिसमें इन अंगुलियों में जलन होने लगती है।
धीरे-धीरे यह समस्या दर्द में बदल जाती है और फिर यह दर्द अंगुलियों से कलाई और कंधों तक पहुंच जाता है।
दिन की तुलना में रात के समय यह समस्या ज्यादा परेशान करती है।
कोई भी वस्तु उठाते समय अधिक परेशानी होना।
अंगूठे में कमजोरी महसूस करना।

ये हैं समाधान –
यदि यह रोग किसी बीमारी की वजह से है तो डॉक्टर सबसे पहले उस समस्या का इलाज करते हैं। फिर वह कलाई को आराम देने के लिए हाथों के सही मूवमेंट की सलाह देते हैं। कलाई में स्प्लिंट बांधने को भी कहा जा सकता है। कलाई पर बर्फ रखकर सेंक कर सकते है। डॉक्टर द्वारा बताई गई स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से भी लाभ होता है।

राहत के लिए खास टिप्स –
एक हाथ के बजाय दोनों हाथों को बराबर काम में लें।
ज्यादा देर तक अपनी कलाई को नीचे झुकाकर न रखें।
हाथों को दबाकर न सोएं। हाथ की नसों पर दबाव पडऩे से समस्या हो सकती है।
हाथ, कलाई और अंगुलियों का व्यायाम करना बहुत जरूरी होता है। बिना व्यायाम के आपकी कलाई कठोर हो सकती है।
समय-समय पर हाथों की मसाज भी जरूर करें।
कुछ मामलों में इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है। सर्जरी के कुछ हफ्तों या महीनों बाद वापस कलाई व हाथ का सामान्य रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं।

कुछ जांचें जरूरी –
इसकी जांच प्रक्रिया में सबसे पहले हाथ को ऐसी मशीन में डाला जाता है जिसमें कुछ दर्द या बिजली के झटके जैसी झनझनाहट महसूस होती है। इसके अलावा नाड़ी की जांच या इलेक्ट्रोमायोग्राफी जांच करवाई जाती है। यह देखने के लिए कि आपके हाथों और बाजुओं की नाड़ी व मांसपेशियां किसी प्रकार के कार्पल टनल सिंड्रोम के प्रभावों को दर्शा रही है या नहीं।

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