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मसल्स पर दबाव पड़ने से टूट सकती हैं हड्डियां, जानें इस रोग के बारे में

locationजयपुरPublished: Oct 07, 2019 01:26:42 pm

इस रोग से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों व कलाई की हड्डी पर ज्यादा असर।

मसल्स पर दबाव पड़ने से टूट सकती हैं हड्डियां, जानें इस रोग के बारे में

इस रोग से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों व कलाई की हड्डी पर ज्यादा असर।

ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?

हड्डियों में दर्द होना ऑस्टियोपोरोसिस का सामान्य लक्षण है जिसकी शुरुआत में पहचान नहीं होती। इस रोग में मांसपेशियों पर अधिक दबाव पडऩे से हड्डियां कभी भी टूट सकती हैं। इसलिए वृद्धावस्था में अधिक वजन उठाने के लिए मना करते हैं। समय से पहले मेनोपॉज, किसी कारण अंडाशय को निकलवाना या उसका खराब होना रोग के अहम कारण हैं। कई बार सामान्य मेनोपॉज के बाद भी, आने वाले 15 वर्षों में हड्डियों से काफी कैल्शियम निकल जाता है जिससे महिलाएं रोग की शिकार हो जाती हैं।

इससे किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?
इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहते हैं। क्योंकि खासकर रीढ़ की हड्डी, कूल्हों व कलाई की हड्डी में फै्रक्चर से पहले कोई लक्षण नहीं दिखते। अब तक रोग के ज्यादातर मामले महिलाओं में पाए जाते थे। लेकिन पिछले ५-१० सालों में हुए कई शोधों के दौरान पुरुषों में भी इसकी शिकायत पाई गई। हालांकि पुरुषों के सेक्स हार्मोन में अचानक कमी नहीं आती व ७० साल की उम्र तक बरकरार रहता है। इसलिए पुरुष इस रोग से बचे ही रहते हैं।

रोग से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतें?
वजन नियंत्रित करने के अलावा शरीर में कैल्शियम व विटामिन-डी की मात्रा संतुलित रखनी चाहिए। पुरुषों में धूम्रपान, शराब पीना, रोग की फैमिली हिस्ट्री, छोटी हड्डियां, तीन माह से ज्यादा कोर्टिकॉस्टेरॉयड दवाओं का प्रयोग व किडनी या लिवर संबंधी बीमारियों के कारण रोग की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में उन्हें ४५ वर्ष के बाद बोन मिनरल डेंसिटी टैस्ट करवाना चाहिए। साथ ही यदि हड्डियां छोटी या कमजोर हैं तो फै्रक्चर से बचाव के लिए डॉक्टरी सलाह से दवाएं लेनी चाहिए।

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