इन बीमारियों के लिए उपयोगी –
छाती, फेफड़े, सांसनली, छोटी व बड़ी आंत, किडनी, गॉलब्लैडर, पैनक्रियाज फूड पाइप, थाइमस (हृदय व रक्तवाहिकाओं के ऊपर स्थित ग्रंथि) व पेट आदि अंगों में कैंसर, इनकी कार्यप्रणाली में गड़बड़ी या ट्यूमर होने की दशा में रोबोटिक सर्जरी की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मोटापा घटाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी में भी रोबोट का सहारा लिया जाता है।
ऑपरेशन से पहले की कवायद –
रोबोटिक सर्जरी करने से पहले ब्लड टैस्ट, हार्ट व लंग्स की फंक्शनिंग, ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर संबंधी जांचें की जाती हैं। रिपोर्ट्स में यदि मल्टीपल डिसऑर्डर यानी एक से अधिक रोगों का पता चलता है तो मरीज और उसके परिवार से रोबोटिक सर्जरी के संबंध में अनुमति मांगी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह ऑपरेशन लंबे समय तक चलता है। सहमति मिलने पर मरीज को एक तय तिथि पर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी जाती है और सर्जरी से पूर्व कम से कम पांच घंटे पहले से खानपान बंद करने को कहा जाता है। ऑपरेशन करने वाली टीम में एनेस्थीसिया देने वाला विशेषज्ञ, तीन सर्जन (एक प्रमुख और दो सहायक), नर्स और टेक्नीशियन होता है।
रोबोट के चार हाथों का कमाल –
इस सर्जरी में रोबोट के चार हाथ होते हैं। एक पर कैमरा, दो हाथ सर्जन के हाथों की तरह व चौथा हाथ अवरोधों को हटाता है। हाथों को सर्जन कंसोल से कंट्रोल कर सर्जरी किए जा रहे अंग की मल्टी डाइमेंशनल तस्वीरें मॉनिटर की स्क्रीन पर देखकर रोबोट को निर्देश देते हैं। इससे विशेषज्ञ नाजुक अंगों की सर्जरी भी सटीक ढंग से कर पाते हैं।
क्या है रोबोटिक सर्जरी –
इस सर्जरी को कम्प्यूटर द्वारा संचालित ‘रोबोट द विन्सी सिस्टम’ की मदद से किया जाता है। जिस पर विशेषज्ञ पूरी तरह से कंट्रोल रखते हैं। सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है और जिस अंग का ऑपरेशन होना होता है उसकी सफाई की जाती है। इसके बाद आधे से डेढ सेंटीमीटर के कुछ छेद करके उनमें कैनुला (पोर्ट) ट्यूब डाल दी जाती है जिससे रोबोट सर्जरी करते हैं। ये ट्यूब रोबोट के लिए उपकरणों का काम करती हैं। सर्जरी के दौरान चीरफाड़ और अंत में विशेषज्ञ के दिशानिर्देशों के अनुसार रोबोट ही टांके भी लगाते हैं।
नई तकनीक के ये हैं लाभ –
इस सर्जरी को अनुभवी डॉक्टर करते हैं जिसमें वे उच्च तकनीक से चीजों को बेहतर तरीके से देख पाते हैं इसलिए गलतियां कम होती हैं। ब्लड लॉस व दर्द कम होने से संक्रमण का खतरा नहीं रहता। रिकवरी जल्दी होने से रोगी को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और वह रोजमर्रा के कामों को फिर से करने लगता है।
उपचार के बाद की एहतियात –
पेट या फूड पाइप की सर्जरी के बाद जब मरीज का दर्द कम होता है तो उसे थोड़ा चलने की सलाह दी जाती है व मरीज को खाना तब तक नहीं दिया जाता जब तक कि वह गैस पास न करे। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि उसकी आंतों की गतिविधि सही है या नहीं। यदि मरीज गैस पास नहीं कर पाता है तो उसे दवाएं दी जाती हैं वर्ना खाना खाते ही रोगी को उल्टी हो सकती है।
अधिक रख-रखाव से इलाज महंगा –
ज्यादा कीमत और रख-रखाव महंगा होने से फिलहाल रोबोटिक सर्जरी देश के चुनिंदा निजी अस्पतालों में उपलब्ध है। सामान्य सर्जरी की तुलना में इसमें समय लगता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में सर्जरी रोबोटिक व लैप्रोस्कोपिक तकनीक से ही की जाएगी।