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मानसून के बाद होने वाली उल्टी-दस्त, पीलिया की समस्या के बारे जानें

जानते हैं इस मौसम में होने वाली सामान्य परेशानी उल्टी-दस्त और पीलिया से कैसे करें बचाव-

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जयपुर

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Vikas Gupta

Aug 29, 2019

मानसून के बाद होने वाली उल्टी-दस्त, पीलिया की समस्या के बारे जानें

जानते हैं इस मौसम में होने वाली सामान्य परेशानी उल्टी-दस्त और पीलिया से कैसे करें बचाव-

बारिश के मौसम के जाते-जाते दूषित भोजन और पानी से पेट की बीमारियों के मामले बढ़ने लगे हैं। ऐसे में इस दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जानते हैं इस मौसम में होने वाली सामान्य परेशानी उल्टी-दस्त और पीलिया से कैसे करें बचाव-

उल्टी और दस्त -
इसका कारण दूषित खानपान और पानी है। ऐसी स्थिति में बैक्टीरिया या वायरस का आंतों में संक्रमण हो जाता है। जिससे एक्यूट-गैस्ट्रोएंट्राइटिस (आंतों में सूजन) की दिक्कत होती है। लक्षण के रूप में उल्टी, दस्त और बुखार होना सामने आता है।

पीलिया - गर्मियों या मानसून मेंं पीलिया, वायरल हेपेटाइटिस के संक्रमण के कारण होता है। इनमें वायरल हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण अधिक होता है। यह संक्रमण भी दूषित खानपान और पानी के कारण फैलता है।

लक्षण -
आंखों और पेशाब का रंग पीला होना, भूख न लगना, जी-मिचलाना, उल्टी-दस्त, बदनदर्द, सिरदर्द, कमजोरी, थकान, बुखार और पेट में दाईं ओर ऊपर की तरफ हल्का दर्द, कभी-कभी जोड़ों में दर्द होने जैसे लक्षण भी पीलिया के हो सकते हैं।

कारण -
उल्टी और दस्त के लिए वायरल, बैक्टीरियल, प्रोटोजोआ और परजीवी संक्रमण अहम कारण बनकर उभरते हैं। वहीं पीलिया हेपेटाइटिस-ए, बी, सी, डी या ई, संक्रमित सूर्इं लगवाने, असुरक्षित यौन सम्बंध बनाने, टैटू गुदवाने, दूषित भोजन, पानी और संक्रमित रेजर के इस्तेमाल से भी हो सकता है।

इलाज : उल्टी-दस्त होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। आमतौर पर वायरल संक्रमण में वायरस का असर 7-8 दिन में स्वत: खत्म हो जाता है। लेकिन बैक्टीरियल व प्रोटोजोअल संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। डिहाइडे्रशन की स्थिति में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें। वे रोगी की गंभीरता की स्थिति के अनुसार उसे भर्ती करते हैं या ओआरएस घोल पीने की सलाह देते हैं। वायरल हेपेटाइटिस-ए व ई के बजाय बी, सी व डी के संक्रमण में एंटीवायरल दवाएं देते हैं।

बचाव : धूम्रपान और शराब से दूर रहें ये लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं। ताजा खाना खाएं और उबला हुआ पानी पीएं। डाइट में फैट कम और प्रोटीनयुक्त आहार ज्यादा लें। कमजोरी अधिक होना, बेहोशी या शरीर के किसी हिस्से से खून आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।