लिवर का मुख्य काम भोजन को पचाना होता है। लिवर में पित्त (बाइल) बनता है। इसमें कई प्रकार के रस होते हैं जिससे भोजन पचता है और शरीर का पीएच लेवल भी ठीक रहता है। लिवर डीटॉक्सिफिकेशन का काम करता है। खानपान और दवाइयों के कारण शरीर में पहुंचने वाले विषैले तत्त्वों को बाहर भी निकालता है। इसके साथ ही संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस को भी निष्क्रिय कर हमें सुरक्षित रखता है।
लिवर के कई रोग होते हैं। अधिकतर बीमारियों के लक्षण भी अलग होते हैं। लेकिन इनके सामान्य और शुरुआती लक्षणों में भूख नहीं लगना, उल्टी होना, कमजोरी, जी मिचलाना और पीलिया जैसी समस्याएं दिखती हैं। समस्या बढ़ने पर पेट में पानी भरना, खून की उल्टी होना, शरीर में सूजन और बेहोशी आना। साथ ही एसिडिटी, अपच और कब्ज की समस्या भी लिवर रोगों में देखने को मिलती है।
गलत खानपान, व्यायाम न करना, वायरस और बैक्टीरिया के इंफेक्शन से लिवर रोग होते हैं। कुछ दवाइयों का अधिक प्रयोग, ब्लड ट्रांसफ्यूजन से भी लिवर की बीमारी होती है। अन्य कारण भी हैं।
शराब जितनी खतरनाक बीयर?
बीयर से भी शराब की तरह लिवर को नुकसान होता है। लिवर के गंभीर रोगियों में 60-70 फीसदी मरीज किसी न किसी रूप में एल्कोहल लेते हैं या लेते थे। लिवर की समस्या से बचना है तो बीयर/शराब बिल्कुल ही न लें। इनसे दूर रहें।
डायबिटीज के मरीजों में फैटी लिवर की आशंका ज्यादा रहती है। लिवर का काम शुगर लेवल ठीक रखना है। लापरवाही से यह समस्या फैटी स्टेडो हेपेटाइटिस और बाद में लिवर सिरोसिस में बदल जाती है।
लिवर रोगों से बचाव के लिए संक्रमित खाद्य पदार्थ और दूषित पानी से बचें। खाने में पोषक तत्त्व वाली चीजें शामिल करें। खाना समय से खाएं। देर रात को खाने से बचें। इससे लिवर पर पड़ता असर है। डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें। समस्या है तो घी से बचें। बाहर खाने से बचें। फलों का रस लेने की जगह सीधे फल ही खाएं।
इसे ड्रग्स एंडूयज हेपेटाइटिस कहते हैं। पेनकिलर और टीबी के साथ कुछ अन्य दवाइयों से भी लिवर को नुकसान होता है। गंभीर रोगों की दवा ले रहे हैं और भूख कम लगे, उल्टी आए या पीलिया जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर दवा बदलवानी चाहिए।
ठंडी चीजें ज्यादा खाने-पीने से संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। इनमें संक्रमण वाले वायरस और बैक्टीरिया अधिक समय तक जिंदा रहते हैं। ये गर्म करने पर खत्म हो जाते हैं।