अधिक खतरा: क्रॉनिक खांसी, अस्थमा व सांस संबंधी समस्या के रोगी, मधुमेह, धूम्रपान करने वाले, गर्भवती महिला व 65 से अधिक उम्र के बुजुर्ग।
बचाव : जिन्हें रोग का खतरा अधिक है वे बचाव के लिए टीके लगवाएं। इससे दो माह बाद शरीर में इम्युनिटी विकसित होती है। 60-80 प्रतिशत मामलों में यह टीका प्रभावी है। दूसरों को रोग न फैले इसलिए रोगी मास्क लगाएं। कुछ दिन अलग कमरे में रहें ताकि अन्य में इसकी आशंका न बढ़े।
जांच-इलाज : फिजिशियन के अनुसार डॉक्टरी सलाह से जांचें कराएं जिसमें प्रमुख रूप से स्वैब टैस्ट करते हैं। विशेषज्ञ लक्षणों व रोगी की अवस्था के आधार पर दवा देते हैं। खुद दवा न लें। 5-7 दिन में रोगी ठीक हो जाता है।