जमीन पर बैठ जाएं। दोनों पांव पूरा खोलें। इसके बाद दोनों हाथ पीछे की ओर जमीन पर रखें। नाक से श्वांस लेते हुए चेस्ट व पेट फुलाएं और सांस छोड़ते हुए पेट अंदर खींचें। पेल्विक को बाएं-दाएं जमीन पर रगड़ें। ऐसा 5-7 बार सांस लेते-छोड़ते हुए करें।
चित्रानुसार लेटकर एक पैर को ऊपर उठाकर हवा में गोल-गोल घुमाएं। इसके बाद दूसरे पैर को घुमाएं। ऐसा करते समय गहरी सांस लें और छोड़ें। यह क्रिया रोजाना पांच-सात बार कर सकते हैं।
चित्रानुसार लेटकर सांस भरते हुए एक पैर को उठाते हुए विपरीत दिशा में सांस छोड़ते हुए जमीन पर रखने की कोशिश करें। फिर दूसरे पैर से इसी क्रिया को दोहराएं। ऐसा करते समय हथेलियों को आकाश की ओर खुली रखें। कोशिश करें कि तीन से पांच बार सांस लेने और छोड़ते हुए एक ही स्थिति में रहें, हिलें नहीं।
चित्रानुसार लेटकर दोनों हाथों को सिर के नीचे रखें। दोनों घुटनों व टखनों को मोड़ते हुए साइकिल की तरह ऊपर-नीचे घुमाएं। ध्यान केंद्रित रखें। इस दौरान लगातार गहरी सांस लेते रहें। ऐसा करीब दो मिनट तक करते रहें।
लेटकर दोनों हाथों की मदद से कमर ऊपर की ओर उठाएं। दोनों पैरों पर वजन बढ़ेगा, इसलिए पैरों को संतुलित रखें। नाक से सांस लें और मुंह से छोड़ें। इस अवस्था में जितनी देर आराम से रह सकते हैं रहें। इसके बाद धीरे-धीरे कमर को जमीन पर लाएं।
सुबह शुद्ध वातावरण में करें
इन क्रियाओं को सुबह शुद्ध वातावरण में करना चाहिए। क्रियाओं को करते समय ढीले कपड़े पहनें। शारीरिक क्षमतानुसार क्रियाओं को दोहराएं। यदि कोई क्रोनिक बीमारी है तो चिकित्सक से परामर्श लें और प्रशिक्षक की देखरेख में करें। उपरोक्त सभी क्रियाएं करने के बाद एक मिनट स्ट्रेचिंग करें और शरीर को ढीला छोड़ दें।