scriptलोगों को तेजी से हो रही हैं ये बीमारियां | People are getting faster these diseases | Patrika News

लोगों को तेजी से हो रही हैं ये बीमारियां

locationजयपुरPublished: Mar 08, 2019 01:18:39 pm

आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय कुछ ऐसे रोगों के बारे में जो तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं।

people-are-getting-faster-these-diseases

आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय कुछ ऐसे रोगों के बारे में जो तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं।

बदलती जीवनशैली ने न केवल लोगों को मशीनों का आदी बनाया है बल्कि उनके खानपान को भी काफी हद तक बदल दिया है। यही कारण है कि कम उम्र में ही लोग बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय कुछ ऐसे रोगों के बारे में जो तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं।

हाई ब्लड प्रेशर –
दो हैं मुख्य कारण
1 प्राइमरी : इसमें परेशानी या तो आनुवांशिक कारणों से होती है या फिर तनाव की वजह से। लगभग 90 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी प्राइमरी कारणों से होती है।

2 सेकेंडरी : इसमें किसी अन्य अंग के विकार के कारण व्यक्ति हाई ब्लडप्रेशर का शिकार होता है। ऐसा केवल 10 प्रतिशत लोगों में देखा जाता है।

ब्रेन हेम्रेज का खतरा –

बे्रन हेम्रेज, हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर, आंखें खराब होने व लकवा होने की आशंका।
मरीज को देखकर इलाज –
फैमिली हिस्ट्री, उम्र, जुड़ी हुई बीमारियां व शारीरिक प्रकृति देखकर रोगी को इसकी दवा दी जाती है। आमतौर पर दवा का खर्च 5-20 रुपए तक प्रतिदिन आता है।

लक्षण –
इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते।
अधिक नमक से परहेज –
प्रतिदिन 5-6 ग्राम से अधिक नमक का सेवन न करें। अधिक चिकनाईयुक्त पदार्थ, घी व नॉनवेज आदि से परहेज करें।
फल व सलाद को डाइट में शामिल करें। व्यायाम व मेडिटेशन आदि करें।

थायरॉइड-
बदलती जीवनशैली –
शरीर में एंटीबॉडीज बनने से यह रोग होता है। बदलती जीवनशैली इसका मुख्य कारण है।
प्रमुख प्रकार –
हाइपरथायरॉइडिज्म- इसमेंं थायरॉइड ग्रंथि में हार्मोन अधिक बनने लगते हैं।
हाइपोथायरॉइडिज्म- इसमें हार्मोन कम बनते हैं व शरीर में इनकी मांग बढ़ जाती है। अधिकतर लोगों में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या देखने को मिलती है।
थायरॉइड –
पुरुषों की तुलना में महिलाएं इसकी सबसे ज्यादा शिकार होती हैं।
पिछले 20 वर्षों में अवसाद के बड़े कारणों में से एक हाइपोथायरॉइडिज्म भी पाया गया है।
हृदय व शरीर के अन्य अंगों में रक्तसंचार को अवरुद्ध करने का एक कारण हाइपोथायरॉइडिज्म भी है।

लकवे का डर –
हाइपोथायरॉडिज्म शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है जिससे हृदय संबंधी रोग व शरीर में लकवे का डर रहता है।
गले में सूजन-
गले में सूजन, बालों का झड़ना, आवाज व त्वचा मोटी, वजन बढ़ना, अधिक माहवारी आदि इसके लक्षण हैं।

खाली पेट खाएं दवा –
एल थायरॉक्सिन नाम की दवा दी जाती है जिसे रोगी को सुबह खाली पेट खाना होता है।

जंक फूड से परहेज –
चिकनाईयुक्त भोजन व जंक फूड आदि से परहेज करें। नियमित ऐसे व्यायाम करें जिनमें गले से आवाज निकाली जाती हो। 25 वर्ष की उम्र के बाद एक वर्ष के अंतराल पर इसकी जांच करवानी चाहिए। यदि थायरॉयड के मरीज हैं तो छह माह में एक बार करवा सकते हैं।

डायबिटीज –
यह बीमारी दो तरह से परेशान करती है।
टाइप-1 डायबिटीज- इसमें शरीर के अंदर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है।
टाइप-2 डायबिटीज- इसमें शरीर बने हुए इंसुलिन का प्रयोग ठीक से नहीं कर पाता। लगभग 90 प्रतिशत लोग टाइप-2 डायबिटीज के शिकार होते हैं।

शारीरिक श्रम की कमी –
इसकी मुख्य वजह आनुवांशिक, शारीरिक श्रम की कमी, अधिक कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन, इंडोर एक्टिविटीज की अधिकता आदि हैं।

तेजी से घटता है वजन –
इसके लक्षणों में अत्यधिक वजन घटना, थकान, अत्यधिक प्यास, घाव जल्दी न भरना, पैरों में झनझनाहट, आंखों में धुंधलापन आदि शामिल हैं।

रोग के मुताबिक इलाज –
मरीज के रोग के मुताबिक उसे दवाएं व इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। सामान्य रूप से प्रतिमाह दवा का खर्च 150-1000 रुपए तक आता है वहीं इंसुलिन के इंजेक्शन का 1500-2000 रुपए तक है।

आंखों में अंधापन –
ब्रेन में लकवा, किडनी फेल्योर, आंखों में अंधापन, हृदय संबंधी बीमारियां आदि का खतरा।

नियमित व्यायाम जरूरी –
40 वर्ष की उम्र के बाद समय-समय पर जांच करवाएं। संतुलित आहार लें। नियमित व्यायाम करें व टहलें।

यह भी जानें –
हाई ब्लड प्रेशर
विश्व में करीब सौ करोड़ लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं और 2025 तक लगभग 156 करोड़ युवा इसके शिकार हो सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह समय से पूर्व मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक है।
इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इसके पहले से कोई संकेत या चेतावनी नहीं होते।

डायबिटीज –
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक विश्व में डायबिटीज 7वीं ऐसी बीमारी होगी जो लोगों की मृत्यु का कारण बनेगी।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में फिलहाल इससे पीडि़त 4 करोड़ लोग हैं और 2025 तक यह आंकड़ा 7 करोड़ तक पहुंच सकता है।
डायबिटीज विश्वभर में किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारणों में से एक है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो