
Peripheral artery disease PAD: Symptoms, causes treatment
पेरीफेरल आर्टेरियल पैरों में खून की धमनियों में ब्लॉकेज की परेशानी है। इसमें कोलेस्ट्रॉल व शुगर लेवल जांचते हैं। टखने एवं बाजू में ब्लड प्रेशर की जांच से एंकल ब्रेकिअल इंडेक्स नापा जाता है। पैर की रक्त धमनियों की डोपलर अल्ट्रासाउंड से ब्लॉकेज का पता लगाते हैं। ब्लॉकेज मिलने पर एंजियोग्राफी की जाती है।
हार्ट की ब्लड वेसल्स में ब्लॉकेज के कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या होती है। इसी तरह पेरीफेरल आर्टेरियल डिजीज में पैरों तक खून ले जाने वाली धमनियां ब्लॉकेज से सिकुड़ जाती हैं। इससे पैरों को ब्लड सप्लाई कम होती है। इससे थोड़ा सा चलने पर पैरों में दर्द होने लगता है। यह दर्द इतना ज्यादा होता है कि जब तक बैठ कर आराम न किया जाए आगे नहीं चला जा सकता। जब ब्लड वेसल्स में थक्का ज्यादा जमा हो जाता है तो बैठे हुए भी पैर में दर्द होता है। जब इन ब्लड वेसल्स में कोलेस्ट्रॉल का जमाव ज्यादा होता है तो पैरों में रक्त प्रवाह बंद हो जाता है। ऐसे में पैर का वो हिस्सा सिकुड़ जाता है। काला हो जाता है। इसे गैंग्रीन कहते हैं (पैरों में ब्लॉकेज की थ्रोम्बोसिस समस्या भी होती है जो दूषित रक्त के प्रवाह से जुड़ी शिराओं में होती है)। इसमें इन्फेक्शन से मरीज को सेप्टीसीमिया भी हो सकता है। इससे बचने के लिए पैर के उस हिस्से को काटकर अलग करना पड़ता है। इससे हृदय पर भी बुरा असर पड़ता है।
जांघ व पिंडली में दर्द -
इस बीमारी में कूल्हे, जांघ या पिंडली में दर्द होता है। बाद में पैरों का सुन्न होना, कमजोरी, पैर में बाल कम होना, उनका रंग बदलना, स्किन चिकनी होना, नाखून की ग्रोथ व पैर की पल्सेशन कम होना एवं पैर में घाव आसानी से नहीं भरता है। इससे अथेरोस्क्लेरोसिस यानि ब्लड वेसल्स में कोलेस्ट्रॉल जमा होता है। इससे पैरों में ब्लड ले जाने वाली वेसल्स में जमा होने से उन्हें संकुचित करता है।
रोकथाम व उपचार -
स्मोकिंग, जंकफूड, तली-भुनी चीजें, ट्रांस फैट को कम करके कोलेस्ट्रॉल जमाव को कम किया जा सकता है। नियमित व्यायाम करें। पैरों की वेसल्स में गतिशीलता बनी रहे। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर व ब्लड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होना चाहिए। इनमें ब्लॉकेज होने पर एंजियोप्लास्टी से बंद नसों को खोला जाता है। यदि एंजियोप्लास्टी नहीं हो सकती तो बाइपास सर्जरी की जाती है।
ऐसे करते हैं पहचान -
पैरों में पल्स की जांच की जाती है। प्रभावित भाग की पल्स कम पाए जाने पर और पैरों में घाव, स्किन के रंग, चमक , तापमान आदि की जांच करके पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज के लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू किया जाता है।
Published on:
02 Dec 2019 05:57 pm
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