इन्हें खतरा-
अधिक वजनी, गर्भवती, सिगरेट व शराब पीने वालों, ब्लड प्रेशर व तनाव के मरीजों में रोग की आशंका अधिक रहती है। घर में पहले से किसी को मधुमेह है तो ज्यादा सतर्क रहें। ब्लड शुगर की नियमित जांच से प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान कर इलाज लें।
प्रमुख लक्षण –
प्री-डायबिटीज के अधिकतर मरीजों में लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन कुछ मरीजों में बहुत ज्यादा प्यास लगना, अधिक यूरिन आना, धुंधला दिखाई देना या अचानक से बेहोशी छाना मुख्य लक्षण बनकर उभरते हैं।
प्रमुख जांचें-
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज की जांच सुबह खाली पेट होती है। वहीं ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टैस्ट सुबह नाश्ते के दो घंटे बाद करते हैं। फास्टिंग लेवल 100 से कम है तो शुगर सामान्य व 100-126 हो तो प्री-डायबिटीज है। फास्टिंग में यह लेवल 126से अधिक है तो डायबिटीज है।
इलाज – जीवनशैली में बदलाव व संतुलित खानपान से 80 फीसदी तक ब्लड शुगर कंट्रोल हो जाता है। रोजाना 30 मिनट वर्कआउट करें। खानपान में ज्यादा फाइबर युक्त चीजें लें।