लक्षण : सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, फेफड़ों के एक भाग में लगातार या लंबे समय तक दर्द, बार-बार खांसी, थोड़ी देर चलने पर भी सांस फूलने जैसी स्थिति, सीने में पानी भरने की ओर इशारा करता है। इंफेक्शन के कारण मरीज को बुखार, ठंड लगना व भूख न लगने जैसी समस्या होती है।
लापरवाही न बरतें : लक्षणों को नजरअंदाज करने से समस्या गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में सीने में पानी भरे रहने से फेफड़े धीरे-धीरे गलने लगते हैं। जिससे इनमें मवाद पड़ने से संक्रमण अन्य अंगों में फैल सकता है। फेफड़ों की झिल्ली चिपक जाने से सांस लेने में भारीपन महसूस होता है। संक्रमण के रक्त में फैलने से सेप्टीसीमिया का खतरा बढ़ता है जिससे रोगी की जान भी जा सकती है। इलाज के बाद डॉक्टर द्वारा बताई दवाएं मरीज को नियमित रूप से लेनी चाहिए।
इस कारण भरता पानी: सीने और फेफड़ों में किसी तरह की चोट लगने, वायरल, बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण होने पर, कैंसर, दिल व लिवर की गंभीर बीमारी भी समस्या का कारण हो सकती है। इसके अलावा किडनी खराब होने या इसकी कमजोरी और संक्रमण की वजह से भी फेफड़ों का पानी सीने में जाने की आशंका रहती है।
इलाज : प्लूरल इंफ्यूजन में आमतौर पर किसी प्रकार की सर्जरी नहीं करते। इसमें भरे पानी को निकालना ही बेहतर रहता है। इसके लिए थॉरासेन्टेसिस करते हैं। जिसमें पीठ की तरफ के भाग को सुन्न कर इसमें एक ट्यूब डालते हैं। इसके जरिए पानी को बाहर निकालते हैं। कई मामलों में इंफेक्शन से हुई परेशानी में एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाएं देते हैं। लंबे समय तक संक्रमण पर ध्यान न देने से स्थिति बिगड़ने पर सर्जरी करते हैं। ऐसे में सावधानी बरतना जरूरी है। थोड़ी सी भी परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।