रोग और उपचार

सात तरह का होता है गठिया, जानें इससे जुड़े खास बातें

यह समस्या आजकल बच्चों में काफी तेजी से बढ़ रही है।

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Feb 25, 2019
यह समस्या आजकल बच्चों में काफी तेजी से बढ़ रही है।

14 साल के फुटबॉल खिलाड़ी अनिकेत को अभ्यास के दौरान दायीं एड़ी में दर्द रहने लगा था और उसमें काफी सूजन आ गई थी। उसने कुछ दर्द निवारक दवाएं और अन्य उपाय भी अपनाए पर कोई लाभ नहीं हुआ। माता-पिता उसे ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ के पास ले गए। जांच में पता चला कि उसे जुवेनाइल रूमेटॉयड आर्थराइटिस (जेआरए) है। यह समस्या आजकल बच्चों में काफी तेजी से बढ़ रही है। तकलीफ ऐसे बढ़ती है

जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ के अनुसार जेआरए एक ऑटोइम्यून रोग है। ऑटोइम्यून रोगों में सफेद रक्त कोशिकाएं, स्वस्थ कोशिकाओं, बैक्टीरिया व संक्रमण के बीच अंतर नहीं कर पातीं। इम्यून प्रणाली जो शरीर में संक्रमण से रक्षा करती हैं, रोग से प्रभावित होने पर ऐसे रासायनों को छोड़ना शुरू कर देती हैं जो कि स्वस्थ ऊत्तकों को क्षति पहुंचाना शुरू कर देते हैं और दर्द बढ़ जाता है। बच्चों में होने वाले सात प्रकार के गठिया के प्रभाव को कम करने के लिए इसकी जल्द पहचान बेहद जरूरी है। जेआरए में बच्चों को जोड़ों के दर्द के साथ सूजन भी होती है और कई बार बुखार, त्वचा पर लाल चकते, पीठदर्द, आंखों में लाली और पंजों या एड़ियों में दर्द भी होता है।

खतरे की घंटी -
भारत में लड़कों से अधिक लड़कियों में यह समस्या ज्यादा होती है। अधिकांश मामलों में लोगों को इस रोग के बारे में पता ही नहीं चलता जिससे इलाज में देरी होती है।

जेआरए के प्रमुख सात प्रकार
सिस्टेमिक जेआरए: ये पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में अक्सर रहने वाला तेज बुखार है जो शाम को होता है और अचानक ही सामान्य हो जाता है। बुखार के दौरान बच्चा पीला पड़ जाता है और कई बार चकते भी उभर आते हैं। ये चकते कई बार अचानक मिट जाते हैं और फिर तेजी से उभरने लगते हैं।

ओलिगो आर्थराइटिस : यह चार या कुछ कम जोड़ों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में दर्द, अकडऩ या जोड़ों में सूजन शामिल है। घुटने और कलाई के जोड़ इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

पॉलिआर्टिकुलर आर्थराइटिस रूमेटॉयड फैक्टर निगेटिव : यह लड़कों और लड़कियों दोनों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में पांच या अधिक जोड़ों में सूजन शामिल है। हाथों के छोटे जोड़, वजन उठाने वाले जोड़ जैसे कि घुटने, कूल्हे, एडिय़ां, पैर और गला प्रभावित होते हैं।

पॉलिआर्टिकुलर आर्थराइटिस रूमेटॉयड फैक्टर पॉजिटिव : यह करीब 15 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है।

सोरायसिस आर्थराइटिस : इसमें बच्चों में सोरायसिस के चकते अपने आप ही उभर जाते हैं। इस स्थिति में अंगुलियों के नाखूनों पर भी असर पड़ता है।

एन्थसाटिस संबंधित आर्थराइटिस : यह शरीर के निचले हिस्सों और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है।

अनडिफरेंशिएटिड आर्थराइटिस : जो आर्थराइटिस ऊपर दिए प्रकारों में नहीं आता।

उपचार व डाइट -
गठिया सीमित अवधि, कुछ सप्ताह या महीनों तक बना रह सकता है। कुछ मामलों में इसका इलाज लंबा भी चलता है। लेकिन समय रहते इलाज न कराने से ये रोग जीवनभर का दर्द भी दे सकता है। जेआरए आमतौर पर 6 माह से 16 साल के बच्चों में देखा जाता है। सबसे पहला संकेत जोड़ों में दर्द और सूजन होती है। साथ ही जोड़ों में गर्माहट और लालिमा बनी रहती है।

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट की रूमेटोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका खरबंदा के अनुसार जेआरए से प्रभावित बच्चों को चाहिए कि वह सामान्य जीवन बिताएं। माता-पिता सुनिश्चित करें कि बच्चा व्यायाम से पहले स्ट्रेचिंग करे। उसकी डाइट में प्रोटीन, कैल्शियम शामिल करें ताकि हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत हों।

फिजियोथैरेपी : इसमें जोड़ों की मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए व्यायाम किया जाता है।

मैंटेनेंस इंस्टरूमेंट : इसके तहत स्पलिंट और अन्य उपकरणों के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। ये उपकरण जोड़ के टेड़ेपन को रोकने में मदद करते हैं।
जॉइंट रिप्लेसमेेंट: सभी मरीजों के लिए यह जरूरी नहीं लेकिन विकलांगता और विकृति होने पर जॉइंट रिप्लेसमेंट का सहारा लिया जा सकता है।

Published on:
25 Feb 2019 01:22 pm
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