– धूम्रपान से झुर्रियां बढ़ती हैं। ऐसा करने वाले लोगों की आंखों व मुंह के आसपास की फाइन लाइंस कम उम्र में गड़बड़ा जाती हैं। – स्मोकिंग से एक एंजाइम बनता है जो त्वचा के इलास्टिक फाइबर को क्षति पहुंचाता है।फ्री रेडिकल्स नाम का मॉलिक्यूल त्वचा की बनावट व कार्यक्षमता को बिगाड़ता है।
निकोटिन सीधे इम्युन सिस्टम को प्रभावित करता है इसलिए धूम्रपान करने वालों को सोरायसिस का खतरा ज्यादा होता है।
20-40 वर्ष की महिलाओं को यह त्वचा रोग होता है। इसमें गाल व नाक के आसपास घाव हो जाते हैं। धूम्रपान न करने वालों की तुलना में ऐसा करने वालों को इसका खतरा 10 गुना ज्यादा होता है। इसके अलावा इसकी लत वाले लोगों पर दवाओं का असर भी नहीं होता। धूम्रपान करने से गुप्तांग में मस्सों का खतरा भी बढ़ जाता है।
धूम्रपान से सर्जरी या अन्य घावों को भरने में समय लगता है। इससे घावों में संक्रमण या ऊत्तक नष्ट हो सकते हैं। साथ ही रक्त के थक्के बनने लगते हैं जिसकी निम्न वजह हैं :
निकोटिन से रक्तप्रवाह 30-4० प्रतिशत घट जाता है। इससे त्वचा को ऑक्सीजन व अन्य पोषक तत्त्व कम मिलते हैं।
धूम्रपान से प्लेटलेट्स चिपचिपे हो जाते हैं जिससे रक्तके छोटे-छोटे थक्के बन जाते हैं। ये थक्के घाव तक ऑक्सीजन नहीं जाने देते और उन्हें सूखने में देरी होती है। तंबाकू फाइब्रोब्लाट्स सेल्स को प्रभावित करता है। इनका काम घाव भरने के दौरान जलन को घटाना है।धूम्रपान से रक्तनलिकाओं को बनने में बाधा पहुंचती है जिससे घाव देरी से भरते हैं।