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Cause of Snoring: इस वजह से हो सकते हैं भी खर्राटे, करवट सोने पर आराम

Cause of Snoring: नींद में खर्राटे आना स्वस्थ नींद का पर्याय नहीं हैं, बल्कि यह शरीर के किसी रोग से ग्रस्त होने का इशारा करते हैं। नींद में मुंह के साथ ही जीभ व गले की मांसपेशियों को आराम मिलता है, लेकिन वायुमार्ग में मौजूद टिश्यू ढीले होकर इसमें रुकावट पैदा करते हैं, जिससे सांसों के साथ कंपन की आवाज आती है।

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जयपुर

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Jyoti Kumar

Jul 18, 2023

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Cause of Snoring: नींद में खर्राटे आना स्वस्थ नींद का पर्याय नहीं हैं, बल्कि यह शरीर के किसी रोग से ग्रस्त होने का इशारा करते हैं। नींद में मुंह के साथ ही जीभ व गले की मांसपेशियों को आराम मिलता है, लेकिन वायुमार्ग में मौजूद टिश्यू ढीले होकर इसमें रुकावट पैदा करते हैं, जिससे सांसों के साथ कंपन की आवाज आती है।

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ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया तो नहीं!

तेज खर्राटे कई तरह के गंभीर रोगों का लक्षण हो सकते हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया भी इन्हीं रोगों में से एक है। इस रोग में खर्राटे लगातार आने के बजाय रुक-रुक कर आते हैं जो ब्रीदिंग
डिसऑर्डर है। मोटापा, वायुमार्ग का छोटा होना, जीभ या तालु का बड़ा आकार या टॉन्सिल होना इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इससे हृदय रोगों की आशंका भी रहती है। ऐसी स्थिति में
चिकित्सकीय परामर्श लें।

प्रमुख कारण

इसके मुख्य कारण हैं-
मोटापा: इससे सांस में दिक्कत गर्दन में फैट व सांस नलीं में रुकावट आती है।
अल्कोहल लेना: इससे गले सहित शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है।
कमजोर मांसपेशियां: मांसपेशियों की शिथिलता के कारण समस्या आती है।
पीठ के बल सोना: पीठ के बल सोने से वायुमार्ग संकरा हो जाता है और यह दिक्कत भी सामने आती है।
सर्दी व जुकाम: खांसी-जुकाम व नाक बंद होने से भी समस्या होती है।

ये तरीके काम लें
वजन में कमी: व्यायाम से वजन कम करें।
करवट लेना: पीठ के बल न सोकर करवट लेकर सोने से राहत मिलती है।
शराब छोडऩा: शराब छोड़कर भी इस समस्या से बचा जा सकता है।
समय से जागना: देर तक सोने की आदत से बचें। संतुलित जीवन जिएं।
हाइड्रेटेड रहना: पानी कम न करें, मांस-पेशियों में संकुचन होता है। खूब पानी पीएं।

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बीमारी को पहचानने के लिए कुछ चेतावनी संकेत जानिए- रुक-रुककर सांस आना। दिन में नींद आना। एकाग्रता भंग होना। मन न लगना। सुबह उठते ही सिर दुखना। गले में खराश होना।
हाई ब्लड प्रेशर होना। गले में जलन होना। खर्राटे से नींद खुल जाना। सुस्ती व थकान रहना। बच्चों में सक्रियता की कमी होना।
कोई काम करते हुए ध्यान न दे पाना और नींद आना।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।