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जानिए लड़कियों को क्यों लगती है जल्दी चोट

locationजयपुरPublished: Aug 22, 2019 07:33:12 pm

‘वॉर्म अप’ और ‘कूलिंग डाउन’ जैसे अभ्यास, ओवरलोडिंग और सक्रिय मांसपेशियों का बार-बार इस्तेमाल करने से खिलाडिय़ों को चोट का खतरा रहता है।

जानिए लड़कियों को क्यों लगती है जल्दी चोट

‘वॉर्म अप’ और ‘कूलिंग डाउन’ जैसे अभ्यास, ओवरलोडिंग और सक्रिय मांसपेशियों का बार-बार इस्तेमाल करने से खिलाडिय़ों को चोट का खतरा रहता है।

उचित प्रशिक्षण और खेलने की सही तकनीक की कमी जैसे क्रिकेट बैट पकड़ने का गलत तरीका, इसपर ग्रिप नहीं चढ़ाना, गार्ड या हेलमेट न लगाना, रनिंग से जुड़े गेम्स में दौड़ने वाले जूतों की कमी। ‘वॉर्म अप’ और ‘कूलिंग डाउन’ जैसे अभ्यास, ओवरलोडिंग और सक्रिय मांसपेशियों का बार-बार इस्तेमाल करने से खिलाड़ियो को चोट का खतरा रहता है। युवाओं को खासकर इनसे बचना चाहिए क्योंकि हड्डी या मांसपेशियों पर किसी भी तरह की चोट आगे चलकर परेशानी बन सकती है। जानें बचाव व उपचार के बारे में-

खतरा अधिक : महिला व पुरुष दोनों को खेल के दौरान चोट लग सकती है। महिलाओं के लिगामेंट मुलायम होने के साथ उनमें मसल मास भी कम होता है। ऐसे में इन मुलायम ऊतकों में चोट लगने की आशंका रहती है। कुश्ती, रग्बी आदि के खिलाड़ियों को भी चोट लगने का खतरा रहता है।

लक्षण-
व्यक्ति का प्रदर्शन समय के साथ लगातार घट रहा हो या बार-बार की जाने वाली गतिविधि (स्प्रिंट के लिए जाते हुए कलाई मुड़ने का डर) में दर्द या असहजता महसूस हो तो इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। भागते, चलते, हाथ घुमाते समय यदि शरीर के किसी भी भाग में परेशानी हो या पुरानी चोट वाली जगह तकलीफ हो तो डॉक्टरी सलाह ली जानी चाहिए। खेल से पहले वॉर्मअप करें, इसके बाद वर्कआउट करना ठीक रहता है।

जांच व उपचार –
एक्स-रे, एमआरआई व सीटी स्कैन आदि से परेशानी का पता लगाते हैं। मांसपेशियों व लिगामेंट के फटने या कुछ बड़ी चोटों की वजह जानने के लिए शारीरिक परीक्षण करते हैं। स्थिति अधिक गंभीर न होने पर 3-4 महीने के लिए फिजियोथैरेपी चलती है। दर्द और सूजन में आराम के लिए दवाएं दी जाती हैं। बर्फ की सिकाई से भी राहत मिलती। प्रभावित भाग को शरीर के लेवल से ऊपर रखने से सूजन दूर होती है।

इलाज की नई तकनीक –
ऑप्टोमेट्रिक गेट एनालिसिस, फुट प्रेसर प्लेट्स (दौड़ने के दौरान), और मांसपेशियों के कार्य व मजबूती का आकलन करने के लिए आइसोकाइनेटिक डिवाइस जैसी तकनीकें काफी प्रभावी हैं। एडवांस क्लास 4 लेजर, शॉकवेव थैरेपी व ड्राई नीडलिंग जैसी तकनीक से चोट जल्दी भरती है।

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