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Health news: कमर दर्द के ये हैं मुख्य कारण, एेसे करें इलाज

locationजयपुरPublished: Aug 12, 2019 08:31:25 pm

Health news: आयुर्वेद में कमरदर्द यानी कटिशूल का कारण वातदोष बताया गया है।

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Health news: आयुर्वेद में कमरदर्द यानी कटिशूल का कारण वातदोष बताया गया है।

Health news: कमरदर्द यानी लो-बैक पेन लाइफस्टाइल से जुड़़ी समस्या है। रीढ़ की हड्डी के दर्द को आयुर्वेद में कटिशूल कहा जाता है। यह समस्या वात दोष के कारण होती है। आयुर्वेद के अनुसार खानपान और जीवनशैली में बदलाव करके इससे बचा जा सकता है। जानते हैं क्या हैं इसके कारण और कैसे बचा जाए-

कमरदर्द के कारण –
आहार –
तीखे व कसैलेरस युक्त आहार जैसे अधिक मिर्च व तेलयुक्त आहार, चटपटा खाना, फ्रिज में रखा हुआ खाना, अधिक शीतल पेय, आइसक्रीम, अत्यअधिक बीज वाले फल व सब्जी जैसे अमरूद, बैगन, काचरी, परवल आदि लेने से कमरदर्द की समस्या होती है।

विहार –अत्यधिक उपवास, आवश्यकता से अधिक व्यायाम, गद्दे बिस्तर पर सोना, मोटे तकिये का उपयोग, कुर्सी पर कमर और गर्दन को झुकाकर बैठना, दोपहिया वाहन का अधिक उपयोग, टीवी और कम्प्यूटर के साथ अधिक समय बिताना भी इसके कारण हैं।

व्यसन –
तंबाकू, गुटखा, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट के कारण हड्डी मेंं शिथिलता और खोखलापन होने कमरदर्द की स्थिति बनती है। वृद्धावस्था में हड्डियों में क्षय, गर्भावस्था में गर्भ के वजन के कारण या कमर में चोट लगने के कारण हड्डी का सरकना भी इसका एक कारण है।

 

अन्य –
वजन बढ़ने पर रीढ़ पर भार पड़ना, हार्मोन असंतुलन, कब्ज, हार्निया, सिजेरियन प्रसव।

लक्षण – कमर में मंद से असहनीय दर्द होना, कमर में भारीपन, कमर से पिंडलियों तक दर्द फैलना, पैरों में सुन्नपन, चलने-बैठने और लेटने में परेशानी होना मुख्य लक्षण हैं।

इलाज : आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा जैसे नारायण तेल, क्षीरबला तेज, बृहद सैंधव तेल, तिल तेल, लशुनादि तेल, मुरिवेण्णा तेल आदि तेलों से कटि बस्ती, पृष्ठ बस्ति, कमर से पैरों तक मालिश कराने के बाद पृष्ठ स्वेदन व सिंकाई कर कमर दर्द को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा मात्रा बस्ति (एनिमा) भी दिया जा सकता है। पंचकर्म विशेषज्ञ कीे सलाह के अनुसार चिकित्सा लेनी चाहिए।

घरेलू नुस्खे – सरसों/तिल के तेल में चुटकीभर सेंधा नमक और 2-3 लहसुन की कलियां डालकर हल्का गर्म करें और इससे कमर की नित्य मालिश करें
1 गिलास पानी में 10 ग्राम सोंठ या जीरा डालकर उबालें फिर छानकर गुनगुना पीएं।
मलाई रहित दूध में आधा केला और मिश्री मिलाकर लें।
मलाई रहित दूध में हल्दी डालकर लें।
भोजन में लहसुन, अदरक, सोंठ, सेंधा नमक, नींबू और प्याज का प्रयोग कर सकते हैं।

योग-
कुछ योगासनों जैसे अद्र्धकटिचक्रासन, अद्र्धचंद्रासन, वक्रासन, भुजंगासन, धनुरासन, सेतुबंधासन और नाड़ी शोधन, सूर्य अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम कर सकते हैं।

इनका रखें ध्यान-
1. बैठते समय कमर, कंधा, गर्दन को सीधा रखें और लगातार एक ही स्थिति में न बैठें।
2. सोते वक्तसख्त बेड का उपयोग तथा पतले तकिये का इस्तेमाल करें।
3. पलंग से उठते वक्तबाईं या दाईं करवट लेकर उठें ।
4. भारी वस्तु उठाते समय कमर पर दबाव डालने से बचें और अत्यावश्यक परिस्थिति में वजन उठाते वक्तकमर को सहारा दें ।
5. अधिक समय तक इसे नजरअंदाज न करें, चिकित्सीय सलाह लें।

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