
हिस्टीरिया एक मानसिक विकार (metal health problem) है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को बहुत अजीब तरह का एक भ्रम हो जाता है। यह बहुत गंभीर समस्या होती है, जिसमें रोगी को बार-बार दम घुटने जैसा एहसास होने लगता है। इसकी वजह से वह बेहोश हो जाता है। यह रोग प्राय: अविवाहित स्त्रियों एवं लड़कियों को अधिक होता है। इस रोग से मिर्गी के समान दौरे पड़ते हैं। यह रोग पुरुषों में भी देखा जा सकता है, लेकिन लक्षण अलग होने के कारण इसे महिलाओं को होने वाले हिस्टीरिया से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। महिलाओं में जब इस रोग के दौरे पड़ते हैं, तो उसके हाथ-पैर अकड़ जाते हैं। इसमें रोगी खुद कुछ-कुछ बड़बड़ाती रहती है। आगे वह दूसरों को मारना-पीटना भी शुरू कर देती है।
चक्कर आना, कंपकंपी लगना, सांस लेने में समस्या या मुंह में जकड़न जैसे लक्षण हिस्टीरिया के होते हैं। इसमें व्यक्ति को 24 से 48 घंटों तक बेहोशी और नींद की समस्या बनी रहती है। हिस्टीरिया न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसकी वजह से मेंटल और नर्वस डिसऑर्डर की समस्या पैदा हो सकती है। इसमें पेशेंट खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाता। ऐसे पेशेंट्स आमतौर पर किसी फोबिया, सेल्फ डिसिप्लिन की कमी या डिप्रेशन जैसी समस्याओं से परेशान होते हैं। हिस्टीरिया अधिकतर एडोलसेंस एज में होता है।
हिस्टीरिया के कारण
मरीज के मन में किसी कारण से भय उत्पन्न होना, प्रेम में असफलता, काम वासना में अतृप्ति, प्रेमी से बिछुड़ना, शारीरिक मानसिक श्रम न करना, आराम पसंद जीवन बिताना, अत्यंत भोग-विलास का जीवन जीना, अश्लील साहित्य पढना, उत्तेजक दृश्य या फिल्में देखना, बांझपन, डिंबाशय व जरायु रोग, नाड़ियों की कमजोरी, आकस्मिक मानसिक आघात, मासिक धर्म का अकारण रुकना, परिवार में तालमेल न बैठना, चिंता, भय, शोक, तनाव, अधिक भावुक प्रवृत्ति, उचित आयु में विवाह का न होना, असुरक्षा की भावना, किसी पाप का भय आदि इसके कारण होते हैं।
घरेलू इलाज
हिस्टीरिया के पेशेंट्स को एक कंप्लीट न्यूट्रिशियस डाइट की आवश्यकता होती है। उन्हें सेब,अंगूर, संतरा, पपीता और अनानास जैसे फलों का अधिक सेवन कराना चाहिए। जिन्हें हिस्टीरिया का अटैक बार-बार आता हो उन्हें लगभग एक महीने के लिए दूध वाली डाइट का सेवन करना चाहिए। हिस्टीरिया के पेशेंट्स के लिए डेली एक चम्मच शहद का सेवन फायदेमंद होता है। हींग को अपनी डाइट में नियमित रूप से शामिल करें। डाइट में डेली 0.5 से 1.0 ग्राम हींग लेनी चाहिए। जिन लोगों को हींग से एलर्जी होती है वह इसे सूंघ भी सकते हैं। एक गिलास दूध में एक ग्राम राउवोल्फिया की जड़ मिलाएं। इस दूध का सेवन दिन में दो बार करें। यह बहुत ही इफेक्टिव तरीका है हिस्टीरिया को कंट्रोल करने का। हिस्टीरिया के पेशेंट्स के इलाज में प्रॉपर नींद और नियमित एक्सरसाइज जरूरी होती है। जिस वक्त हिस्टीरिया का अटैक आता है उस समय लौकी को कद्दूकस करके पेशेंट के माथे पर लगाएं। इससे काफी आराम मिलता है।
हिस्टीरिया के लक्षण
शरीर में ऐंठन
सांस लेने में परेशानी
हार्टबीट का तेज होना
सिरदर्द
थकान महसूस होना
चक्कर व बेहोशी आना
वायलेंट होना
तनाव
हिस्टीरिया के कारण
अधिक आलस
फैमिली हिस्ट्री
घबराहट
फोबिया
चिंता या तनाव
डिप्रेशन
ब्रेन ट्यूमर
मेंटल डिसऑर्डर
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
10 Jun 2023 12:15 pm
बड़ी खबरें
View Allरोग और उपचार
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
