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सबसे ज्यादा खतरनाक है इस तरह का हेपेटाइटिस,जानें इसके बारे में

locationजयपुरPublished: Aug 22, 2019 04:16:23 pm

इस रोग की जटिलता व बचाव के तरीके से अनजान लोगों में रोग की सही जानकारी न होने से ये गंभीर रूप ले लेती है। आइये जानते हैं हेपेटाइटिस के बारे में।

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हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित मरीजों का समय पर इलाज कर उनकी जान बचाई जा सकती है। भारत में इस रोग की जटिलता व बचाव के तरीके से अनजान लोगों में रोग की सही जानकारी न होने से ये गंभीर रूप ले लेती है। आइये जानते हैं हेपेटाइटिस के बारे में।

लिवर में फैलता संक्रमण –
हेपेटाइटिस लिवर में होने वाला संक्रमण है। इसका पता शुरुआती अवस्था में नहीं लगता। लेकिन आगे चलकर यह लिवर सिरोसिस व लिवर फेल्योर तक का रूप ले लेता है। भूख न लगना, त्वचा व आंखों में पीलापन, पेटदर्द, हल्का बुखार मुख्य लक्षण हैं।

रोग के 5 प्रकार –
हेपेटाइटिस के प्रमुख पांच प्रकार हैं- ए,बी,सी, डी व ई। हेपेटाइटिस-ए एक्यूट और बी, सी व डी क्रॉनिक स्थिति होती है। वहीं हेपेटाइटिस-ई भी एक्यूट अवस्था है जो गर्भवती महिला को ज्यादा प्रभावित करती है। रोग से बचाव के लिए उम्र के विभिन्न पड़ाव पर हेपेटाइटिस-ए, बी का टीका प्रमुख रूप से लगवाएं।

इन्हें है खतरा-
संक्रमित रक्त व सुई या मां से शिशु को इंफेक्शन, असुरक्षित यौन संबंध, गंदगी व शौचालयों में फैले किटाणुओं के संपर्क में आने वालों को रोग का अधिक खतरा।

विषैले तत्वों से भी बढ़ता खतरा –
दवाओं के दुष्प्रभाव और शरीर में विषैले तत्त्वों की मात्रा बढ़ने से भी लिवर प्रभावित होता है। यह स्थिति ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस कहलाती है।

90% हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित मरीजों का उपचार तीन से छह महीने में दवाओं का पूरा कोर्स लेने और टीकाकरण करवाने से संभव है। लापरवाही के कारण रोगी को भविष्य में लिवर सिरोसिस व लिवर कैंसर की आशंका रहती है।

ध्यान रखें –
सरकार द्वारा चलाई गई टीकाकरण योजना में सभी टीकों के साथ हेपेटाइटिस-बी का भी टीका जरूर लगवाएं। यह सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क लगाए जाते हैं। दवाओं का पूरा कोर्स लें।
बच्चों को हाथों व रोजमर्रा के कामों में साफ -सफाई की आदत डालें।
खानपान में सफाई का ध्यान रखें।
डे-केयर सेंटर में बच्चे को छोड़ने से पूर्व वहां की सफाई व्यवस्था को देख लें।
झांड़-फूंक के बजाय डॉक्टर से इलाज लें।

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