scriptवर्ल्ड मलेरिया डे: ‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया | World Malaria Day: Parasite named 'Plasmodium' is malaria | Patrika News

वर्ल्ड मलेरिया डे: ‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया

locationजयपुरPublished: Apr 25, 2019 11:25:37 am

Submitted by:

Jitendra Rangey

मच्छर आमतौर पर सूर्यास्त के बाद रात में ही ज्यादा काटते हैं। कई बार मरीज को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे वह ऐनमिक हो जाता है।

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क्या है मलेरिया
‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया। यह मादा ‘ऐनाफिलीज’ मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर सूर्यास्त के बाद रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ मामलों में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा ना होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर मरीज को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे वह ऐनमिक हो जाता है।
चार प्रकार के मलेरियल पैरासाइट होते हैं
चार प्रकार के मलेरियल पैरासाइट होते हैं जो इंसानो को इन्फेक्ट करते हैं: प्लासमोडियम वाइवेक्स (P.v.) – सबसे ज्यादा मौजूद प्लासमोडियम ओवाले (P.o.) – सबसे दुर्लभ प्रकार प्लासमोडियम मलेरिया (P.m.) – हर जगह पे पाया नहीं जाता प्लासमोडियम फेल्किपेराम (P.f.) – सबसे ख़तरनाक है।
1. प्लासमोडियम वाइवेक्स (P.v.) – यह प्रकार पुरे दुनिया हुआ हैं और भारत में भी बहुत प्रचलित है।
2. प्लासमोडियम ओवाले (P.o.) – यह प्रकार मुख्य रूप से ट्रॉपिकल वेस्ट अफ्रीका में पायी जाती है। यह सबसे दुर्लभ प्रकार है जो कोई अनुबंध कर सकता है। यह इतनी दुर्लभ इसलिए है की मच्छर के काटने के बाद पैरासाइट इंसान के शरीर में बरसो तक रह।
3. प्लासमोडियम मलेरिया (P.m.) – यह प्रकार अमरीका, अफ्रीका और साउथ ईस्ट एशिया के ट्रॉपिकल जगहों पे पायी जाती है। यह बाकी प्रकार जैसा जानलेवा नहीं माना जाता है। इस मलेरिया प्रकार के लक्षण ठंड और तेज बुखार है।
4. प्लासमोडियम फेल्किपेराम (P.f.) – सबसे अधिक मलेरिया के कारन मृत्यु इसी प्रकार के वजह से होती है। यह मुख्य रूप से साउथ ईस्ट एशिया, साउथ अमरीका और अफ्रीका में पाया जाता है। लक्षणों में चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, पेट दर्द, दर्दनाक पीठ, दौरे, मतली, उल्टी, बुखार, सिरदर्द आदि शामिल हैं। पैरालिसिस, कंवल्सन इत्यादि जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं।
मलेरिया के लक्षण
– अचानक सर्दी लगना (कपकपी लगना, अधिक से अधिक रजाई कम्‍बल ओढ़ना)।
– फिर गर्मी लगकर तेज बुखार होना।
– पसीना आकर बुखार कम होना व कमजोर महसूस करना।
जांच
– कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। अतः तुरन्‍त रक्‍त की जॉंच करवाना, सभांवित उपचार लेना तथा मलेरिया पाये जाने पर आमूल उपचार लेना आवश्‍यक है।
– बुखार होने पर क्‍लारोक्विन की गोलिया देने से पहले जांच के लिए खून लेना आवश्‍यक है। रक्‍त की जांच से ही यह पता चलता है कि मलेरिया है या नहीं। जांच के लिए कींटाणु ‍‍रहित सुई को मरीज की अनामिका अंगुली में थोड़ा से प्रवेश कराकर खून की एक दो बूंदे कांच की पट्टिका से स्‍लाइड बनाई जाती है।
लगाएं जा रहे हैं टीके
दुनिया की जानलेवा बीमारियों में से एक मलेरिया का टीका बच्चों को लगाया जाना शुरू कर दिया गया है। अफ्रीकी देश मलावी में बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए टीका दिया गया है। 2009-2014 तक इस टीके का ट्रायल किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी जानकारी दी है। दावा किया जा रहा है कि इस टीके से मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। पूरी दुनिया खासतौर पर अफ्रीकी देशों में इस बीमारी का प्रकोप सबसे ज्यादा है।
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