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World Spine Day: पीठ में रहता है लगातार दर्द तो ना करें नजरअंदाज

locationजयपुरPublished: Oct 16, 2019 06:50:20 pm

World Spine Day 2019: गर्दन के पीछे से लेकर कमर के निचले हिस्से तक में तेज दर्द के साथ अकड़न रहना रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस संकेत हाे सकता है…

World Spine Day: What causes inflammation of the spine?

World Spine Day: पीठ में रहता है लगातार दर्द तो ना करें नजरअंदाज

World Spine Day 2019: गर्दन के पीछे से लेकर कमर के निचले हिस्से तक में तेज दर्द के साथ अकड़न रहना रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस ( Ankylosing Spondylitis ) संकेत हाे सकता है।इसमें राेगी की रीढ़ की हड्डी के जॉइंट्स (वर्टिबे्र) के बीच तेजी से कैल्शियम जमने लगता है। हड्डियां एक-दूसरे से जुड़ने लगती हैं और इनका लचीलापन घटता है। नतीजतन मरीज को उठने, बैठने और झुकने में परेशानी होती है। इस रोग के अधिकतर मामले पुरुषों में पाए जाते हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस का भी कारण बनता है। जिससे हड्डियों के कमजोर होने व फै्रक्चर का खतरा रहता है। शुरुआती अवस्था में इस रोग का इलाज संभव है लेकिन देर होने पर रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ सकता है। आइए जानते हैं एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस और इसके उपचार के बारे में :-
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण ( inflammation of The Spine )-
एचएलए ( ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन ) एंटीजन प्रोटीन सफेद रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। आमतौर पर सभी एचएलए शरीर को रोगों से बचाते हैं लेकिन एचएलए-बी27 एक ऐसा विशेष एंटीजन है जिससे यह ऑटोइम्यून डिजीज होती है। यदि माता-पिता में किसी एक को यह बीमारी है तो बच्चे को बीमारी होने का 30 प्रतिशत खतरा रहता है। अगर फैमिली हिस्ट्री नहीं है और कोई व्यक्ति एचएलए-बी27 पॉजिटिव है तो इसके 2 प्रतिशत होने की आशंका होती है।
लक्षण – शुरुआती अवस्था में आराम करने के बाद या सुबह उठते ही पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है। गंभीर स्थिति में मेरुदंड व कूल्हे के जोड़ में अकड़न बढ़ने के कारण उठने-बैठने या अचानक मुड़ने में दिक्कत होती है।
गंभीर अवस्था – इस स्टेज में रीढ़ की हड्डी मुड़कर धनुष के आकार सी हो जाती है और मरीज सीधा खड़ा नहीं हो पाता। ऐसे में करेक्टिव सर्जरी कर हड्डी को वास्तविक आकार में लाने की कोशिश की जाती है। अगर रीढ़ की हड्डी के साथ घुटने और कूल्हे में दिक्कत बढ़ने पर चलना मुश्किल हो जाए तो आर्टीफिशियल जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी से इन्हें बदला जाता है। लेकिन रीढ़ की हड्डी का रिप्लेसमेंट नहीं किया जाता।
जांच – ब्लड टैस्ट, ईएसआर (इरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट), सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन), एचएलए-बी27 टैस्ट के अलावा किडनी, लिवर से जुड़ी जांच व बोन डेंसिटोमेट्री कराई जाती है।

यह है इलाज – शुरुआती अवस्था में मरीज को नॉन स्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेट्री दवाएं देते हैं। जो दर्दनिवारक का काम करती हैं। यह बीमारी को आगे बढ़ने से रोकती हैं।रीढ़ की हड्डी के साथ अन्य जोड़ों में आर्थराइटिस (सूजन या दर्द) होने पर डिमाड्र्स (डिजीज मोडिफाइंड एंटीरुमेटिक ड्रग्स) दी जाती हैं।
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