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जीवनसाथी को ब्लड प्रेशर… तो आप भी हो जाएं सावधान

नया शोध : भारतीयों में 19 फीसदी आशंका ज्यादा, हो सकती हैं कई बीमारियां

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जीवनसाथी को ब्लड प्रेशर... तो आप भी हो जाएं सावधान

जीवनसाथी को ब्लड प्रेशर... तो आप भी हो जाएं सावधान

वॉशिंगटन. जिनके पति या पत्नी को ब्लड प्रेशर की समस्या है, वे सावधान हो जाएं। यह परेशानी उन्हें भी हो सकती है। हाल ही हुए शोध में यह खुलासा हुआ है। अमरीकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक दुनिया में बहुत सारे लोग ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं। अमरीका में आधी व्यस्क आबादी इससे पीडि़त है। अमरीका के कई विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने 2015 से 2019 के बीच चीन, अमरीका, भारत और इंग्लैंड में हजारों जोड़ों के डेटा का विश्लेषण किया। इसमें हृदय गति, शराब पीना, बीएमआइ और शारीरिक गतिविधियां शामिल थीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि पत्नी या पति में किसी एक को भी उच्च रक्तचाप था तो उसके जीवन साथी को उच्च रक्तचाप होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में अधिक थी। जीवन साथी को रक्तचाप की परेशानी होने पर उसके पार्टनर को इंग्लैंड और अमरीका में 9 फीसदी, चीन में 26 फीसदी और भारत में 19 फीसदी तक रक्तचाप बढऩे की आशंका बढ़ जाती है।

एक को परेशानी तो दोनों जाएं डॉक्टर के पास

अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक चिहुआ ली का कहना है कि किसी एक को ब्लड प्रेशर की समस्या पर पति-पत्नी दोनों को चिकित्सक से मार्गदर्शन लेना चाहिए। आहार और व्यायाम से ब्लडप्रेशर पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ब्लड प्रेशर का उपचार न करने पर अंधापन, गुर्दे की समस्या के अलावा दिल का दौरा पड़ सकता है।

प्रसव के बाद एक तिहाई महिलाएं स्थायी स्वास्थ्य समस्या से पीडि़त

जिनेवा. दुनियाभर में एक तिहाई महिलाओं को प्रसव के बाद स्थायी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाल ही द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हर साल कम से कम चार करोड़ महिलाओं को प्रसव के कारण दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करना पड़ता है। शोधकर्ताओं ने छह सप्ताह पूर्व बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं का परीक्षण किया। इनमें से 35 प्रतिशत ने प्रसव के बाद शरीर में दर्द, 32 फीसदी ने कमर के निचले हिस्से में दर्द, 19 फीसदी ने मल आंत्र दर्द बताया। हर साल दुनिया में 14 करोड़ महिलाएं बच्चों को जन्म देती हैं। बुनियादी मुद्दों पर ध्यान नहीं देने के कारण मातृ-मृत्यु दर कम करने में महत्त्वपूर्ण सफलता नहीं मिली।