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भारत में तेजी से फैल रहा है ज़ीका वायरस, इस तरह से कर सकते हैं बचाव

ज़ीका वायरस का संबंध युगांडा (अफ्रीका) के ज़ीका जंगल से है ज़ीका जंगल के कारण ही इसका नाम ज़ीका वायरस रखा गया। पहली बार इस वायरस की पुष्टि 1947 में अफ्रीकी लंगूर में हुई थी।

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भारत में तेजी से फैल रहा है ज़ीका वायरस, इस तरह से कर सकते हैं बचाव

ज़ीका वायरस का संबंध युगांडा (अफ्रीका) के ज़ीका जंगल से है ज़ीका जंगल के कारण ही इसका नाम ज़ीका वायरस रखा गया। पहली बार इस वायरस की पुष्टि 1947 में अफ्रीकी लंगूर में हुई थी। लंगूरों को हुए बुखार की जांच के दौरान ये वायरस पाए गए थे, 1954 में नाइजीरिया के एक व्यक्ति में यह वायरस मिला था। इसके ज्यादातर मामले 2007 में अफ्रीका और एशिया में देखे गए।

कैसे फैलता है ज़ीका वायरस
यह डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह मच्छरों से फैलता है, यह एडीज मच्छर से फैलता है जो दिन के वक्त काटता है। संक्रमित मच्छर के काटने से यह बीमारी मनुष्यों में फैलती है। मच्छरों के अलावा असुरक्षित शारीरिक संबंध से भी इसका खतरा संक्रमित व्यक्ति के खून-लार से भी ज़ीका वायरस फैल सकता है।

दूध से नहीं फैलती ये बीमारी
फीडिंग कराने से मां के दूध से यह बीमारी नहीं फैलती है। ज़ीका वायरस के इंफेक्शन का असर 3-6 माह तक रहता है

वायरल जैसे ज़ीका वायरस के लक्षण
ज़ीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को हल्का बुखार रहता है।थकान, आंखों का लाल होना और जोड़ों में दर्द हाेने के साथ मरीज को सिरदर्द होना और शरीर पर लाल चकत्ते निकलते हैं।

ज़ीका वायरस से खतरा

ज़ीका वायरस गर्भवती महिला को होने पर गर्भस्थ को खतरा रहता है । गर्भ में पल रहे बच्चे को भी ज़ीका बुखार हो सकता है, जिसकी वजह से वजह से बच्चे के सिर का विकास रूक सकता है । आैर जन्म के समय बच्चे का सिर सामान्य से छोटा होता हैं। इसके अलावा दिमाग व लिवर संबंधित दूसरी बीमारियां हो सकती हैं ।

और भी हैं ज़ीका के खतरे
- बच्चे में ऑटिज़्म, सुनने में दिक्कत और जान का भी खतरा।
- बड़ों में ज़ीका वायरस से गुलियन बेरी सिंड्रोम हो सकता है।
- इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही नुकसान पहुंचाती है ।
- इस वजह से शरीर में कई दूसरी परेशानियां होने लगती हैं।

ज़ीका वायरस का इलाज
ज़ीका वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है । कोई दवा भी नहीं है, इसमें लक्षणों के आधार पर इलाज होता है।बुखार और दर्द से आराम देने के लिए मरीज को पैरासिटामॉल देते हैं।ज़ीका वायरस की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है

ऐसे करें ज़ीका वायरस से बचाव
- ज़ीका वायरस से बचाव के लिए मच्छरों से दूर रहना चाहिए ।
- ज़ीका मच्छर घर के काेनाें में छुपे हाे सकते हैं, ज़ीका मच्छराें से बचने के लिए राेज घर के काेनाें में काला HIT स्प्रे करें।

- मच्छरदानी का प्रयोग करें और घर के आसपास सफाई रखें।
- घर के पास जलभाव न होने दें, कीटनाशक का छिड़काव करें ।
- सुबह-शाम मच्छर ज्यादा सक्रिय रहते हैं, पूरे कपड़े पहनें।
- संक्रमित खून से ज़ीका होता है, मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से रक्त लें।
- इससे संक्रमित व्यक्तियों को भी विशेष सावधानी बरतनी होती है।