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वागड़ विशेष : जनजाति अंचल का यह क्षेत्र, जहां दाई बन जाती है डॉक्टर, पडोसी व परिजन बन जाते है स्टाफ नर्स…

-एक वर्ष में एक हजार से अधिक बच्चों की किलकारी गुंजी घर आंगन में-इस वर्ष 159 बच्चों ने घर आंगन मेें लिया जन्म

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वागड़ विशेष : जनजाति अंचल का यह क्षेत्र, जहां दाई बन जाती है डॉक्टर, पडोसी व परिजन बन जाते है स्टाफ नर्स...

दरअसल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग संस्थागत प्रसव पर जोर दे रहा है, लेकिन यहां सरकार की ढेरों योजना के बाद गैर संस्थागत प्रसव ही लंबे समय से चल रहे हैं। विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी है। पिछले दिनों विभाग ने डॉक्टरों को पाबंद कर समुचित निगरानी के लिए मौखिक निर्देशित किया था।


देखा जाए तो जिले के हर ब्लॉक की तस्वीर बदलती नजर आ रही है, लेकिन बिछीवाड़ा ब्लॉक में घर आंगन में शिशु की किलकारी का आंकड़ा एक हजारी के पार हो गया है। हालांकि यह आंकड़ा विभाग के लिए मुसीबत के साथ चौंकाने वाला भी है।

बताया जा रहा है कि बिछीवाड़ा क्षेत्र दुरस्थ के साथ पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण घर आंगन तक 104 व 108 वाहन भी नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में दाई के द्वारा घर आंगन मेें डिलीवरी कराई जाती है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर व स्टाफ घर तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। सवाल यह है कि महिला गर्भवती होने की जानकारी एएनएम को भी नहीं होना सवाल खड़े कर रहा है।

हर माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलता है। इसके अलावा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए एएनएम को सर्वे करने के लिए कहा गया है। वहीं मुख्यमंत्री राजश्री योजना बेटियों के चल रही है। जिसमें लाभार्थी को राशि भी सरकार की तरफ से मुहैया कराई जा रही है। इसके बाद भी गैर संस्थागत प्रसव सर्वाधिक बिछीवाड़ा क्षेत्र में हो रहे हैं।

—गामड़ी अहाड़ा, गैंजी, बिछीवाड़ा तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।