
हड़ताल से 15 हजार यात्री प्रभावित, किराया दुगुना
ऐसे में अपने यात्रा कार्यक्रम टालने वाले यात्रियों को निजी वाहनों में अधिक किराया देकर गंतव्य स्थान पहुंचना पड़ रहा है। शुक्रवार को पड़ताल करने पर सागवाड़ा पहुंचने के लिए ६० से १०० रुपए तक लिए जा रहे थे। ऐसे में लोगों की जेब ढीली हो रही है। यात्री को जहां जगह मिले, वहां बैठकर सफर करता नजर आया। निजी वाहन चालकों की तरफ से डूंगरपुर से उदयपुर का किराया १५० से २०० रुपए लिया जा रहा है। ऐसे में यात्रियों को मजबूरी में आना पड़ रहा है। शुक्रवार को रोडवेज कार्मिकों ने बस स्टैंड परिसर पर जाजम बिछा दी। सरकार के इस रवैये का कड़ा विरोध किया। आरोप लगाया है कि सरकार के इस रवैये के कारण यात्रियों को नुकसान हो रहा है। सरकार को यात्रियों की तरफ देखना चाहिए। रोडवेज के चालकों ने बसों का उठाव नहीं किया।
उल्लेखनीय है कि १३ सुत्रीय मांगों को लेकर रोडवेज के विभिन्न संगठनों की तरफ से दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान किया था। इसे अब बढ़ा दिया है। इसमें बोनस, परिलाभ, नई बसें खरीदने, अवैध बस संचालन के विरूद्ध कार्रवाई, सातवां वेतन आयोग की मांगों को पुरा करने ध्यान दिलाया।
डूंगरपुर जिले में बाडमेर, सिरोही, राजसमंद, बांसवाड़ा, उदयपुर डिपो की करीब ३० से ३५ बसों का आना जाना होता है। इन बसों के नहीं आने से यात्रियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिले को अब तक लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है।
डूंगरपुर रोडवेज को पिछले चार वर्ष में १५ बसें मिली थी। इसमें से ९ बसों को कुटनीतिक तरीके से वापस ले लिया। बसों के लिए पाट्र्स तक नहीं दिए जा रहे हैं। दावा है कि यदि १० पाट्र्स मांगे जा रहे हैं तो एक या दो देकर काम चलाया जा रहा है। इससे रोडवेज के यात्रियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिले में कई ऐसे गांव है जहां आजादी के बाद बस शुरू नहीं हो सकी। नई बसें शुरू करना दूर की बात है, बंद मार्ग ही शुरू नहीं हो सकें है।
सभा में कार्मिकों ने कहा कि अनुबंधित बसों को १९ से २० लाख रुपए का भुगतान हर माह किया जा रहा है। यदि रोडवेज घाटे में चल रहा है तो अनुबंध क्यों किया। लोक परिवहन बसें चलाकर रोडवेज को ओर घाटे में लाया जा रहा है। इनको रोडवेज बसों के आगे चलाया जा रहा है। सरकार को रोडवेज घाटे की फ्रिक है, अन्य विभागों के घाटे पर मौन धारण कर लिया है।
Published on:
27 Jul 2018 05:48 pm
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