
पुलिस कांस्टेबल से राइफल लूटने की कोशिश करना इन युवकों को पड़ गया भारी, मिली ऐसी सजा, पूरी जिंदगी निकल गई कोर्ट के चक्कर काटते
दुर्ग . रात्रि गश्त कर रहे आरक्षक से मारपीट करने और शस्त्र को लूटने का प्रयास करने के मामले में 23 साल मुकदमा चलने के बाद आरोपी जुर्माना जमा कर रिहा हुए। इस अपील प्रकरण पर फैसला न्यायाधीश रामजीवन देवागंन ने सुनाया। न्यायाधीश ने मारपीट के मामले में कैंप- 2 छावनी निवासी संजय साव (तब 22 वर्ष), त्रिलोचन साव (तब 21 वर्ष) को दोषी ठहराते हुए 2000-2000 हजार रुपए का अर्थदंड सुनाया। राशि जमा नहीं करने पर 6 माह कारावास की सजा भुगतनी होगी। इस प्रकरण का एक अन्य आरोपी बनवारी लाल की विचारण के दौरान मौत हो चुकी है।
समझाने वाले आरक्षक से की थी मारपीट
घटना 30 जुलाई 1996 को रात के 1 बजे बैकुंठ नगर की है। साहू लकड़ी टाल के पास आरक्षक बेनी सिंह अपने साथी प्रधान आरक्षक ईश्वरी लाल के साथ प्वाइंट ड्यूटी कर रहा था। वे हाथों में रायफल रखे हुए थे। इसी बीच शराब के नशे में धुत संजय साव अपने पड़ोसी श्याम से विवाद करने लगा। इसे देख आरक्षक बेनी सिंह संजय साव को समझाने लगा।
आरक्षक की राइफल छीनने का प्रयास
संजय ने आरक्षक बेनी सिंह के गाल पर थप्पड़ मार दिया और उसे पकड़कर पटकने की कोशिश की। बाद में संजय का पिता बनवारीलाल व उसका भाई त्रिलोचन भी आ गया। सभी ने मिलकर बेनी सिंह के साथ झूमा झटकी कर राइफल छीनने का प्रयास किया। प्रधान आरक्षक ईश्वरीलाल बीच बचाव करने पहुंचा तो उससे भी मारपीट की। आरक्षक ने इसकी शिकायत थाने में की थी।
निचली अदालत ने किया था दोषमुक्त
घटना आरोपी संजय साव द्वारा शराब के नशे में किए जा रहे विवाद से शुरू हुआ। आरोपियों ने न्यायालीन कार्यवाहियों में लगभग 23 वर्षो तक चक्कर लगाया। उन्हें अनुभव हुआ होगा कि यह भी किसी कारावास की सजा से कम नहीं है। इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए संजय साव व त्रिलोचन साव को धारा 353 एवं 332 के तहत दोषी ठहराते हुए जुर्माना किया जाता है।
न्यायालय ने माना कि निचली अदालत में सुनाए फैसले में धारा 506 बी, 393 के आरोप से दोषमुक्त किया है, तो उसमें कोई विधिक त्रुटि होना प्रतीत नहीं होता है,लेकिन धारा 353, 332 के आरोप से भी दोषमुक्त किया गया है, जो कि विधिक रूप से उचित प्रतीत नहीं होता है।
Published on:
07 Sept 2019 02:22 pm
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