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दुर्ग में है रामेश्वरम् के रामसेतु का पानी में तैरने वाला पत्थर

रामसेतु के पानी में तैरने वाले पत्थर का दर्शन अब श्रद्धालु दुर्ग स्थित बड़े मठ मंदिर में कर सकते हैं। 662 साल पुराना है बड़ा मठ मंदिर।

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Satya Narayan Shukla

Apr 14, 2016

Durg is the largest monastery in the temple in Ram

Durg is the largest monastery in the temple in Rameshwaram Ram Setu water swimming-stone

दुर्ग.
हिंदू धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ रामेश्वरम् में स्थित रामसेतु के पानी में तैरने वाले पत्थर का दर्शन अब श्रद्धालु दुर्ग स्थित बड़े मठ मंदिर में कर सकते हैं। दुर्ग प्रसिद्ध चंडी मंदिर के पास स्थित बड़ा मठ मंदिर 662 साल पुराना मंदिर है।


मठ मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 1410 के आसपास

मठ मंदिर के पुजारी माधवानंद वैष्णव ने बताया कि मठ मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 1410 के आसपास हुआ है। मठ के अंदर श्रीराम-जानकी का मंदिर, हनुमान मंदिर, समाधिवाले बाबा व गरुड़दास जी का मंदिर है। इसके साथ-साथ यहां पर सात मठ हैं। मंदिर में रोजाना सुबह-शाम भगवान की आरती होती है और भगवान को भोग लगाया जाता है।


ऐसा ही पत्थर रायपुर के दूधाधारी मठ मंदिर में भी

समय-समय पर यहां विशेष हवन-पूजन भी किया जाता है। माधवानंद ने बताया कि मठ मंदिर में रामेश्वरम् के रामसेतु का पानी में तैरने वाला पत्थर 1 जनवरी 2008 से है। इसे श्रद्धालु गिरीश अग्रवाल (वकील) ने यहां पर स्थापित किया है। ऐसा ही पत्थर रायपुर के दूधाधारी मठ मंदिर में भी है।


मठ मंदिर में चल रही गुरु-शिष्य परंपरा

मठ मंदिर में गुरु-शिष्य परंपरा वर्तमान में भी पूरे श्रद्धा व विश्वास के साथ चल रहा है। यहां के सबसे पुराने व प्रथम महंत को सभी समाधिवाले बाबा के नाम से याद करते हैं। समाधि वाले बाबा 662 साल पहले दुर्ग (जो पहले पहाड़ था) में तपस्या करते थे। उन्होंने ही मंदिर का निर्माण कराया और गुरु-शिष्य की परंपरा शुरू की। उन्होंने गुरुड़दास को दीक्षा देकर मठ का महंत बनाया था। इसके बाद से यह परंपरा आज तक चल रही है। वर्तमान में मठ मंदिर के महंत धर्मेंद्रदास हैं। माधवानंद ने बताया कि मठ के सभी महंत बाल ब्रह्मचारी होते हैं।


काला पत्थर, गुग्गल, चूना पत्थर व लासा से हुआ है मंदिर का निर्माण

गोड़पारा निवासी योगेश यादव ने बताया कि वह दो साल से मठ मंदिर में भगवान के दर्शन के आ रहा है। उन्होंने बताया कि मठ मंदिर दुर्ग शहर का सबसे प्राचीन मठ है। यहां स्थापित श्रीराम दरबार की प्रतिमा काले चमकीले पत्थरों से बनी हुई है। यहां भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है। मठ मंदिर प्राचीनकाल में बने इंडियन-क्लासिकल आर्किटेक्ट का बेहतरीन प्रमाण है।


काले पत्थरों से निर्माण

मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है। इस मंदिर में 16 स्तंभ व एक जगमोहन मंडप है। मंदिरों के स्तंभ व दीवारों पर देवी-देवताओं की कलाकृतियां उकेरी गई है, जो इन्हें मोहक बनाती है। मठ के अंदिर स्थित हनुमान मंदिर का निर्माण गुग्गल, चूना पत्थर व लासा से किया गया है। माधवानंद जी के अनुसार इस मंदिर को 6 6 2 साल से अधिक हो गया है, लेकिन आज तक इसमें दरार नहीं आई।


नौ देववृक्षों से आच्छादित है मठ मंदिर

मंदिर के पुजारी ने बताया कि मठ मंदिर परिसर में सात देव वृक्ष अपनी छाया प्रदान कर रहे हैं। यहां पर नीम, शमी, बेल, पीपल, अशोक, गुल्हड़, आम का वृक्ष है। मंदिर परिसर में ही पूर्व दिशा की ओर एक कुआं स्थित है। जो मंदिर के निर्माण के समय से बना हुआ है। इस कुएं का पानी कभी नहीं सूखता। यहां के पानी का उपयोग लोग पीने के लिए भी करते हैं।

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