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अब उसके आगे-पीछे कोई नहीं हैमासूम के इस बयान के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने नाबालिग और उसके दो भाई-बहनों की जिम्मेदारी प्रशासन को देते हुए पत्र लिखा है। दरअसल पीड़िता की मां सितंबर में अपनी बेटी के साथ न्यायालय पहुंची और दुष्कर्म करने वाले आरोपी के जमानत आवेदन का विरोध किया था। बता दें कि दुष्कर्म की शिकायत पर इस मामले में खुर्सीपार पुलिस ने 2018 में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और अभियोग पत्र फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रस्तुत किया। प्रकरण के अनुसार, आरोपी और पीड़िता के बीच चाचा-भतीजी का रिश्ता है। घटना के समय पीड़िता घर में अकेली थी और आरोपी ने इसका फायदा उठाया था।
साथ ही पीडि़ता की मां ने न्यायालय में बयान दर्ज कराया था कि प्रकरण को वापस लेने के लिए उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। आरोपी पारिवारिक सदस्य है और ससुराल वाले प्रकरण को वापस नहीं लेने की वजह से नाराज थे। इस बयान के आधार पर ही न्यायालय ने आरोपी के जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया। इसके कुछ दिनों बाद ही पीडि़ता की मां की हत्या हो गई। हत्या पीडि़ता के पिता ने की।
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पिता ने रायपुर में की थी मां की हत्यापीड़िता ने बताया कि मेरी मां की हत्या मेरे पिता ने रायपुर में की थी। हत्या के मामले में सरस्वती नगर थाने की पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था। पीड़िता ने बताया कि इस घटना के बाद वह स्वयं अपने दो भाई-बहन के साथ नाना-नानी के पास रह रही हैं। नाना-नानी भीख मांगकर जीवन-यापन करते हैं। अब न तो वह और न ही उसके भाई-बहन स्कूल जाते हैं। उनके आगे-पीछे कोई नही है।
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न्यायालय ने इन्हें दी जिम्मेदारीकलेक्टर : दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग और उसके भाई-बहन को किसी अच्छे निजी स्कूल में दाखिल कराया जाए। साथ ही उसके आवास व भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क किया जाए। पीड़िता व उसके भाई-बहन को हर माह छात्रवृत्ति दी जाए ताकि जीवनयापन में आर्थिक परेशानी न आए।
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कोर्ट के आदेेश पालन होगाआरोपी के जमानत आवेदन का विरोध करने पर नाबालिग की मां की हत्या हुई है। वह हत्या जैसे गंभीर प्रकरण की प्रत्यक्षदर्शी गवाह है। इसलिए उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर है। न्यायाधीश ने आदेश के मुताबिक स्थानीय अधिकारी संबंधित जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक को पत्र के माध्यम से आदेश का पालन कराने सुनिश्चित करेंगे।
कमल वर्मा, अतिरिक्त लोक अभियोजक