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बाराबंकी के इस शिव मंदिर की ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, हार के बाद अखिलेश यादव ने भी यहां झुकाया सिर

महाभारत काल में युधिष्ठिर ने कराया था मंदिर का निर्माण खेत से हुई थी मंदिर में रखे शिवलिंग की प्राप्ति

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akhilesh yadav mandir darshan

बाराबंकी के इस शिव मंदिर की ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, चुनावी हार के बाद अखिलेश यादव ने भी यहां झुकाया सिर

नई दिल्ली। नेता हो या अभिनेता हर कोई ईश्वर की ताकत के आगे नतमस्तक हो जाता है। तभी तो गम भुलाने से लेकर निराशा से छुटकारा पाने के लिए लोग मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं। चुनावी हार के बाद खुद को दोबारा खड़ा करने के इसी मकसद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी भगवान का सहारा लिया। उन्होंने शनिवार को रानीगंज के महादेवा मंदिर के दर्शन किए।

1.भोलेनाथ का ये चमत्कारिक मंदिर बाराबंकी जिले के रानीगंज में स्थित है। यहां बेहद दुर्लभ शिवलिंग मौजूद है।

2.मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से दर्शन करता है, उसके जीवन में किसी तरह का कष्ट नहीं रहता है। ये मंदिर काफी प्राचीन है। बताया जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में हुआ था।

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3.एक पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की प्राप्ति एक खेत से हुई थी।

3.बताया जाता है कि ये खेत लोधेराम अवस्थी नामक व्यक्ति का था। जब वो खेत में काम कर रहा था तब उसे अचानक शिवलिंग मिला था।

4.बाद में लोधेराम ने खेत में मंदिर का निर्माण कराया और शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया। इस मंदिर की महिमा का जिक्र महाभारत ग्रंथ में भी पढ़ने का मिलता है।

6.इस मंदिर में परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। कहते हैं इससे व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। पाण्डवों ने इस मंदिर की परिक्रमा की थी।

7.महादेवा मंदिर को बाराबंकी में लोधेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहां एक बार दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति की किस्मत पलट जाती है। इससे उसकी तरक्की होती है।

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8.जानकारों के अनुसार इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर कई बार नाग-नागिन का जोड़ा भी दर्शन करने आते हैं।

9.मंदिर की वास्तुकला पुराने जमाने के आधार पर बनी हुई है। यहां आस-पास काफी हरियाली है।

10.मालूम हो कि भोलेनाथ के इस प्राचीन मंदिर में सपा नेता अखिलेश यादव दर्शन के लिए पहुंचे थे। दरअसल वे रानीगंज गांव में जहरीली शराब काण्ड के पीड़ित परिवारों से मुलाकात करके लौट रहे थे, तभी वे मंदिर भी गए। उन्होंने वहां आरती और पूजा की।