scriptजानें जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता की 10 बड़ी बातें, कैसे है IPC से अलग | Jammu kashmir ranbir penal code law | Patrika News

जानें जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता की 10 बड़ी बातें, कैसे है IPC से अलग

locationनई दिल्लीPublished: Aug 06, 2019 10:18:51 am

Submitted by:

Shivani Singh

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म ( Artical 370 )
कश्मीर में भी लागू होगा IPC
पहले कश्मीर में लागू थी रणबीर दंड संहिता ( Ranbir Penal Code )

jammu kashmir

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर ( jammu kashmir ) में पिछले एक हफ्ते से जारी अटकलों पर अब विराम लग चुका है। सरकार ने घाटी से धारा 370 ( artical 370 ) हटाने के फैसला लिया है। अब जम्मू कश्मीर में भी पूरे देश की तरह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) लागू होगी। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में आईपीसी का प्रयोग नहीं होता था। इसकी जगह रणबीर दंड संहिता ( ranbir penal code ) लागू थी। तो आइए जानते हैं कि रणबीर दंड संहिता क्या थी?

यह भी पढ़ें

घाटी की फिजा के बदले रंग, जानिए अजीत डोभाल के जम्मू-कश्मीर दौरे से अब तक के पूरे हालात

 

jammu
क्या थी रणबीर दंड संहिता

अब तक जम्मू-कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू थी। इसे रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता है। यह कानून अंग्रेजों के जमाने से राज्य में लागू था। बता दें कि आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी। उस दौरान यहां डोगरा राजवंश का शासन था। महाराजा रणबीर सिंह इसके शासक हुआ करते थे। इसलिए 1932 में जम्मू-कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी।
जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता थॉमस बैबिंटन मैकॉले की भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code ) के ही समान थी। लेकिन रणबीर दंड संहिता की कुछ धारा इससे अलग थीं।

jammu
आइए जानते हैं रणबीर दंड संहिता और IPC की धाराओं में क्या अंतर था
1. आपको बता दें कि IPC की धारा 4 में कंप्यूटर के जरिए किए गए अपराधों को माना जाता है। भारतीय दंड संहिता इसकी व्याख्या करती है। लेकिन इसके उटल रणबीर दंड संहिता में इसके बारे में कोई जिक्र नहीं है।
2. IPC की धारा153 CAA में सार्वजनिक सभाओं में जान-बूझकर शस्त्र लेकर जाना दंडनीय अपराध माना जाता है। लेकिन रणबीर दंड संहिता में इस इस बारे में कोई उल्लेख नहीं है।

3. भारतीय दंड संहिता की धारा 195 A में लिखा है कि किसी को झूठी गवाही या बयान देने के लिए प्रताड़ित करना अपराध है, इसके लिए सजा का प्रवाधान है। लेकिन रणबीर दंड संहिता में ऐसा कोई प्रावधन नहीं है।
4. IPC की धारा 304 B दहेज की वजह से होने वाली मौतों के बारे में है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में लागू दंड संहिता में इसका भी कोई उल्लेख नहीं।

5. रणबीर दंड संहिता में यह प्रावधान है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किए गए काम के बदले में रिश्वत लेता है तो वह कानूनी तौर पर सज़ा का हक़दार है। लेकिन IPC में रिश्वतखोरी से जुड़े अपराध की विस्तृत व्याख्या नहीं है।
6. रणबीर दंड संहिता की धारा 420 A में बताया गया है कि सरकार, सक्षम अधिकारी या प्राधिकरण किसी भी समझौते में अगर कोई छल या धोखाधड़ी करता है, तो उसे सजा मिलेगी। लेकिन आईपीसी में इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं।
7. IPC में अभिव्यक्ति की आजादी है। लेकिन रणबीर दंड संहिता अभिव्यक्ति की आजादी को बुरी तरह से प्रभावित करती है।

8. रणबीर दंड संहिता की धारा 190 के तहत सरकार ऐसे किसी भी व्यक्ति को सज़ा दे सकती है, जो सरकार की ओर से अमान्य या जब्त की गई सामग्री का प्रकाशन या वितरण करता है। बता दें कि इस मामले में सजा देने का अधिकार राज्य के मुख्यमंत्री को है।
9. आईपीसी में सबूत मिटाने या बिगाड़ने की सज़ा को स्पष्ट नहीं किया गया है। जबकि रणबीर दंड संहिता की धारा 204 A में इसे लेकर सजा का प्रवधान है।

यह भी पढ़ें

जानिए उस दस्तावेज की 10 बातें, जिसने जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाया

10. रणबीर दंड संहिता में सार्वजनिक नौकरी के बारे में पूरी तरह से बताया गया है। लेकिन भारतीय दंड संहिता में इसका दायरा काफी सीमित है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो