
नई दिल्ली : पिछले कई दिनों से लगातार सरकार की तरफ से आने वाले अगले पैकेज को लेकर चर्चा तेज हो रही है। हर कोई अपनी-अपनी कैलकुलेशन लगा रहा है कि आखिर अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए कितने का पैकेज चाहिए । पिछले हफ्ते Assocham हेड दीपक सूद ने जहां 9 लाख करोड़ के पैकेज को जरूरत बताया तो उसके बाद फिक्की ने भी उतने ही बड़े पैकेज का समर्थन किया अब फाइनेंस मिनिस्ट्री के पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा है कि सरकार को महामारी के इस डिसरप्शन से उबरने के लिए 10 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
अरविंद ने सिर्फ पैकेज की गणना नहीं की है बल्कि सरकार को उन तरीकों के बारे में भी बताया जिसके चलते वो ये पैसा इकोनॉमी में डाल सकती है। अतिरिक्त फंड जुटाने के लिए अरविंद ने डेट मॉनेटाइज करने से लेकर RBI से कर्ज जैसे तरीकों को इसमें शामिल किया है।
अरविंद की ही तरह इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट के पूर्व सचिव सुभाष गर्ग ने एक इंटरव्यू में कहा कि लॉकडाउन की वजह से करीब 10 करोड़ लोगों की नौकरी छिन गई है। सरकार को तत्कालल प्रभाव से 4 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा कर उद्योगजगत का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है।
दरअसल लॉकडाउन के चलते लगभग 10 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी छिनने का अनुमान है। इसीलिए गर्ग का कहना है कि सरकार को अगले 3 महीने तक हर महीने ऐसे लोगों को 2 हजार रूप प्रतिमाह देने की जरूरत है। गर्ग ने एक ब्लॉग पोस्ट में मंगलवार को लिखा था कि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान दो तिहाई प्रोडक्शन का नुकसान हुआ है। वैल्यू के हिसाब से देखें को 8 लाख करोड़ रुपए का लॉस हो सकता
सुब्रमण्यन और गर्ग दोनों का मानना है कि फिलहाल सरकार बाजार से पैसा नहीं उठा सकती इसलिए RBI ही कर्ज का एकमात्र सहारा है।
Updated on:
11 Apr 2020 07:04 am
Published on:
10 Apr 2020 04:50 pm
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